एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटAlamy Stock Photoबीते एक दशक में छोटे-छोटे घर खूब लोकप्रिय हुए हैं. आज हर जगह ऐसे घर बन
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बीते एक दशक में छोटे-छोटे घर खूब लोकप्रिय हुए हैं. आज हर जगह ऐसे घर बन रहे हैं.
मीडिया में उनको सुर्खियां मिली हैं और सोशल मीडिया के दर्जनों पेज पर उन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं.
ऐसे घरों की गिनती नहीं की गई है लेकिन वैश्विक मंदी के बाद इनकी लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ी है. इनको बनाने वाली कंपनियों का भी खूब विकास हुआ है.
इन घरों की शुरुआत अमरीका से हुई थी लेकिन अब कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी इनका निर्माण हो रहा है.
ये पारंपरिक घरों से सस्ते हैं और इनको आवास और कर्ज संकट के समाधान के तौर पर बढ़ावा दिया जाता है.
लेकिन इन घरों से जुड़ी कई जटिलताएं और विरोधाभास भी हैं. जब मैंने इसकी तहकीकात की तो सच सामने आया.
मैं उन घरों में गई और वहां के त्यौहारों में शामिल हुई. मैंने उनमें रहकर भी देखा और वहां रहने वाले दर्जनों लोगों से बात की.
मैं अमरीका के हर हिस्से में गई. स्टेटन आइलैंड में मैंने सामान्य आकार के दो घरों के बीच की जगह में बनाए गए छोटे घरों को देखा.
फ्लोरिडा में मैं चमकीले रंग वाले छोटे घरों में गई जो डिज़्नी वर्ल्ड से आने वाली सड़क के ठीक नीचे बनाए गए हैं.
इस दौरान मैंने छोटे घरों के बारे में तीन अप्रत्याशित बातें नोट कीं.
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1. घटती जाती है छोटे घर की कीमत
घर के स्वामित्व को लेकर मिलेनियल्स (21वीं सदी में जवान हुई पीढ़ी) की अलग सोच है.
वे घर ख़रीदना चाहते हैं लेकिन अपने माता-पिता की तरह का घर ख़रीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. इसलिए वे किराए के घरों में रहते हैं.
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छोटे घरों में रहने वाले जिस भी युवा से मैंने बात की वे भविष्य में अपना बड़ा घर ख़रीदना चाहते हैं.
उनको लगता है कि अभी उनका छोटा घर है और यहां रहते हुए वे भविष्य के लिए बचत कर सकते हैं.
कई युवा दंपतियों ने बच्चे होने पर अपने छोटे घर को बेचकर बड़ा घर ख़रीदने की योजना बना रखी है. कुछ इसे गेस्टहाउस के रूप में भी रखना चाहते हैं.
लेकिन अगर वे इन घरों को अस्थायी आवास के तौर पर देखते हैं और इसे बेचकर बड़ा घर ख़रीदना चाहते हैं तो यह आसान नहीं है.
बड़ा घर ख़रीदने के लिए बचत करने की चुनौती अपनी जगह है. साथ ही, इन घरों को बेचना भी आसान नहीं है क्योंकि समय के साथ उनकी कीमत घटती जाती है.
ये घर जमीन से जुड़े हुए नहीं हैं. इसलिए लंबे समय तक इनके टिके रहने पर भी सवालिया निशान रहता है.
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2. भूमिहीन और आधारहीन
आवास के न्यूनतम आकार के सरकारी नियमों से बचने के लिए छोटे घरों को पहियों पर बनाया जाता है. इससे इनमें रहने वाले स्थायित्व महसूस नहीं कर पाते.
इन घरों में रहने के दौरान मैं भी पहियों को लेकर सचेत रहती थी. मुझे घर डोलता हुआ लगता था. एक बार तो मैं ऊंचे बेड से लगी सीढ़ी से नीचे कूद गई थी.
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वॉशिंगटन के ग्रामीण इलाके में निजी जमीन पर बने छोटे घर में पत्नी और बच्चे के साथ रहने वाले एक व्यक्ति ने मुझसे कहा था, "लगता है कि मैं जमीन से जुड़ा हुआ नहीं हूं क्योंकि घर के नीचे पहिए लगे हैं. वे हमेशा याद दिलाते रहते हैं कि हमारा घर स्थायी नहीं है."
छोटे घरों में रहने वाले जिन लोगों से मैंने बात की उनमें से ज़्यादातर ने कहा कि वे ठोस नींव पर बने घरों में रहना चाहते हैं.
मैं एक मिलेनियल से मिली जिसने अपने कॉलेज फंड से एक छोटा मगर खूबसूरत घर बनाया था. उस घर में एक साल रहने के बाद वो उसको बेचना चाहती थीं.
इससे लगता है कि घरों के बारे में नियमों में ढील दी जानी चाहिए ताकि छोटे घर भी नींव पर बनाए जा सकें.
कुछ जगहों पर ऐसा किया जा चुका है. टेक्सास के स्पर में आवास निर्माण संबंधी कानून बदल दिए गए हैं.
स्पर खुद को अमरीका के पहले शहर के रूप में पेश कर रहा है, जहां छोटे घरों के नियम आसान हैं.
व्यापक तौर पर देखें तो छोटे घरों से जुड़े नियम-कानून अभी भी जटिल हैं. ये कानून अमरीका में और दूसरे देशों में भी इस जीवनशैली की संभावना को सीमित कर रहे हैं.
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मिसाल के लिए, ब्रिटेन में नियोजन कानूनों के साथ समस्या हो सकती है. इन कानूनों के मुताबिक किसी भी नये आवास की मंजूरी देने के लिए वहां एक से ज्यादा बिस्तर लगाने की जगह होनी चाहिए.
दक्षिण-पश्चिमी इंग्लैंड में ब्रिस्टल सिटी काउंसिल ने हाल में ऐसे नियमों को खारिज करते हुए उपनगरीय इलाके में एक मकान के पीछे कई छोटे घर बनाने की मंजूरी दी.
काउंसिल ने माना है कि स्थानीय स्तर पर आवास संकट दूर करने के लिए यह ज़रूरी था.
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3. छोटे घर का मतलब कम खपत नहीं
छोटे घरों को अक्सर टिकाऊ आवास विकल्प के तौर पर पेश किया जाता है.
बड़े घरों के मुक़ाबले वो ऊर्जा की ज़्यादा खपत, निर्माण सामग्रियों और इस तरह के उपभोग पर निश्चित रूप से रोक लगाते हैं.
लेकिन छोटे घर पर्यावरण पर कम असर डालेंगे, यह सोचना उतना सरल नहीं है जितना दावा किया जाता है.
मैं ऐसे कई छोटे घरों में गई, जहां रहने वाले लोग अपना सामान रखने के लिए अतिरिक्त जगह का उपयोग कर रहे थे, क्योंकि उनका सारा सामान छोटे से घर में नहीं समा पा रहा था.
एक व्यक्ति ने इसे छोटे घरों का "डर्टी सीक्रेट" करार दिया.
एक महिला ने बताया कि वो अपने सामान को सुरक्षित रखना चाहती हैं ताकि जब छोटे घर के बारे में उनका मन बदल जाए और वह फिर से बड़े घर में रहने चले जाएं तो उनका सामान काम आए.
छोटे घरों के जिन भी बाशिंदों से मैंने बात की उनमें से आधे से ज़्यादा लोग नया सामान लाने पर जगह बनाने के लिए पुराने सामान को या तो फेंक देते थे या फिर दान कर देते थे.
ग्रामीण न्यू हैंपशायर के कारवान पार्क में एक अत्याधुनिक घर में रहने वाली 35-36 साल की महिला ने कहा, "मुझे टीके मैक्स (डिपार्टमेंटल स्टोर) जाने की लत है. मैं हर दो महीने पर वहां जाती हूं और कई सारी चीजें खरीद लाती हूं. घर आकर मैं देखती हूं कि मुझे किन चीजों से छुटकारा पाना है."
उत्साही लोग छोटे घरों के बारे में चाहे जितना प्रचार करें, लेकिन मेरे अध्ययन में शामिल हुए ज़्यादातर लोगों ने टिकाऊपन या कम खपत को सोचकर छोटे घर नहीं खरीदे थे.
ऐसा लगता है कि घर का आकार बदलने से ज़्यादा वक़्त वहां रहने वाले लोगों की सोच बदलने में लगता है.