एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption चीन अपनी सेना के आधुनिकीकरण के चलते अब वह अमरीका और रूस को कड़
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption चीन अपनी सेना के आधुनिकीकरण के चलते अब वह अमरीका और रूस को कड़ी चुनौती दे रहा है.
चीन, अमरीका और रूस के बीच मौजूदा वक़्त में आधुनिक हथियारों को लेकर होड़ मची हुई है.
अपने आंतरिक गतिरोध और पड़ोसी देशों के साथ वक़्त-वक़्त पर पैदा होने वाले तनाव के चलते यह देश 1990 की शुरुआत से अपनी सेना (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) के आधुनिकीकरण में लगा हुआ है.
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ने अपनी सेना पर बहुत अधिक निवेश किया है और आज यह दुनिया की सबसे मजबूत सैन्य ताकत बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है.
अमरीकी रक्षा विभाग की खुफ़िया एजेंसी की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़, ''चीन के आर्थिक विकास में कुछ गिरावट देखने को मिली है, लेकिन इसने अपनी सेना के आधुनिकीकरकण के लिए पांच वर्षीय योजना के तहत बहुत अधिक निवेश किया है.''
''अपनी सेना को अलग-अलग मोर्चों पर मजबूत बनाने के लिए चीन ने कई तरह के आधुनिक हथियारों को अपने बेड़े में शामिल किया है. कुछ मामलों में तो चीन ने अच्छी-खासी बढ़त पहले ही हासिल कर ली है.''
आइए जानते हैं चीन के पास उपलब्ध सबसे अधिक आधुनिक हथियारों के बारे में और हथियारों की होड़ ये चीन के लिए कितनी उपयोगी हैं.
1. नौसेना का सबसे शक्तिशाली हथियारइमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption चीन अपनी नौसेना को और ज़्यादा ताकतवर बनाने के लिए आधुनिक हथियारों का निर्माण कर रहा है.
पिछले साल दिसंबर में सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें पोस्ट की गई. इन तस्वीरों के साथ यह बताया गया कि चीन की नौसेना के पास युद्ध में इस्तेमाल होने वाला सबसे आधुनिक हथियार है. इसके ज़रिए हाइपरसॉनिक स्पीड से हमले किए जा सकते हैं.
पानी के जहाज़ पर तैनात इस आधुनिक रेलगन के ज़रिए 2.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से 200 किलोमीटर तक की दूरी के लक्ष्य को निशाना बनाया जा सकता है.
सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार यह हथियार साल 2025 तक युद्ध के मैदान में मोर्चा संभालने के लिए तैयार हो जाएगा.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @dafengcao
Long time no see, the railgun test ship is spotted undergoing sea trials these days. pic.twitter.com/WdxXkyYWrF
— dafeng cao (@dafengcao) 29 दिसंबर 2018
पोस्ट ट्विटर समाप्त @dafengcao
वैसे तो अमरीका भी अपनी सरज़मीन पर रेलगन बनाने का काम कर रहा है. इसके अलावा रूस और ईरान भी इस तकनीक के प्रति इच्छुक हैं. लेकिन इन तमाम देशों से पहले चीन ने अपनी नौसेना को मजबूती देने में बढ़त हासिल कर ली है.
हालांकि बीबीसी ने सोशल मीडिया पर जारी की गई तस्वीरों की स्वतंत्र रूप से जांच नहीं की है लेकिन इन तस्वीरों में दिखता है कि चीन ने समुद्र में इन हथियारों का परीक्षण कर लिया है.
चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, माना जा रहा है कि यह हथियार चीन के पहले घरेलू रूप से निर्मित विध्वंसक हथियार 055 की जगह ले सकता है.
इमेज कॉपीरइटU.S. NavyImage caption अमरीका भी इलैक्ट्रोमैग्नेटिक हथियारों का परीक्षण कर रहा है.
पीएलके के पूर्व सदस्य और चीनी सेना के विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को इस संबंध में बताया, ''चीन ने अमरीका की इलेक्ट्रोमैगनेटिक तकनीक को पछाड़ने के लिए हरसंभव कोशिश की है.''
''सोशल मीडिया पर लीक हुई तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने अमरीका को जहाज़ पर तैनात होने वाली रेल गन तकनीक में भी पछाड़ने की कोशिश कर रहा है. शायद वह आने वाले पांच से दस सालों में ऐसा करने में कामयाब हो भी जाए. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि अमरीका में सैन्य बजट पारित करवाने में लंबा वक़्त लगता है जबकि चीन का राजनीतिक सिस्टम इसके बिल्कुल उलट है.''
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2. हाइपरसॉनिक हथियारइमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption अमरीका और रूस की तरह चीन भी हाइपरसॉनिक हथियार तैयार कर रहा है.
अगस्त 2018 में चीन ने एक हाइपरसॉनिक एयरक्राफ़्ट के परीक्षण की बात कही थी. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के शब्दों में कहें तो यह एयरक्राफ़्ट किसी भी तरह के मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम को तोड़ने में कारगर है.
वेवराइडर एक ऐसा एयरक्राफ़्ट है जो वायुमंडल में उड़ते समय शॉकवेव का इस्तेमाल करता है. ये शॉकवेव तब उत्पन्न होती हैं जब एयरक्राफ़्ट ऊंचाई पर पहुंचकर तेज़ गति से उड़ान भरता है.
परीक्षण के दौरान चीनी वेवराइडर जिसका नाम शिनकोंग-2 (स्टारी स्काई-2) है, 30 किमी की ऊंचाई पर पहुंचा और उस समय उसकी गति 7.3444 किमी प्रति घंटा थी.
स्टारी स्काई-2 चीन का पहला हाइपरसॉनिक एयरक्राफ़्ट नहीं है. इसका उपयोग हाइपरसॉनिक ग्लाइड वाहनों के परीक्षण के लिए साल 2014 से किया जा रहा है, यही वजह है कि वेवराइडर तकनीक के परीक्षण में भी इसका प्रयोग किया गया.
रूस और चीन भी हाइपरसॉनिक हथियारों के निर्माण पर काम कर रहे हैं.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, ''पूर्णरूप से विकसित वेवराइडर युद्ध के दौरान किसी भी तरह के एंटी-मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम को भेदने में कामयाब रहते हैं.''
हालांकि बीजिंग में मौजूद एक सैन्य विशेषज्ञ झोऊ चेन्मिंग के अनुसार चीन के वेवराइडर न्यूक्लिकर हथियारों की बजाय सिर्फ पारंपरिक युद्धक सामग्री को ही ले जा सकते हैं.
उनका मानना है कि अभी भी इस तकनीक पूरी तरह से विकसित होने में तीन से पांच साल ज़रूर लगेंगे.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption हैरिस ने कहा था कि अमरीका को अपनी सेना पर अधिक निवेश करने की ज़रूरत है.
अमरीका की पैसिफ़िक कमांड के प्रमुख एडमिरल हैरी हैरिस ने अमरीकी कांग्रेस में बताया था कि हाइपरसॉनिक हथियार बनाने के मामले में अमरीका अपने प्रतिद्वंदियों से पिछड़ रहा है.
उन्होंने अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा था कि ऐसी संभावनाएं हैं कि जब तक अमरीकी रडार चीनीं मिसाइलों को पकड़ सकें तब तक वे अमरीका के जहाज़ों और सैन्य अड्डों पर हमले कर दें.
हैरिस ने कहा, ''हमें इस दिशा में बेहद तेज़ी से काम करने की ज़रूरत है और अपने खुद के हाइपरसॉनिक हथियार बनाने चाहिए.''
साल 2017 में चीन ने एक हाइपरसॉनिक मिसाइल की घोषणा की थी. इसका नाम डीएफ़-17 था और यह डोंगफ़ेंग का हिस्सा थी. इस मिसाइल की रेंज 1800 किमी से 2000 किमी बताई गई थी.
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3. चीन का अपना 'मदर ऑफ़ ऑल बॉम्ब'इमेज कॉपीरइटAFPImage caption चीन के पास मदर ऑफ़ ऑल बॉम्ब का अपना संस्करण है.
पिछले महीने चीन ने एक नए तरह के हवाई बम से दुनिया को रूबरू किया, इसे 'मदर ऑफ़ ऑल बॉम्ब' का चीनी संस्करण बताया गया.
एक वीडियो में चीन की हथियार इंडस्ट्री की प्रमुख कंपनी नोरिनको (NORINCO) ने दिखाया कि इस बम को एच-6के बॉम्बर के ज़रिए आसमान से गिराया गया, जिससे बहुत बड़ा धमाका हुआ.
हालांकि इस बम के बारे में बहुत अधिक जानकारियां नहीं दी गई.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिनहुआ ने बताया कि यह चीन का सबसे ताकतवर नॉन न्यूक्लियर बम है. यह इतना बड़ा है कि एच-6के बॉम्बर एक वक़्त में सिर्फ़ एक ही बम को ले जा सकता है.
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China's arms industry giant NORINCO for the first time showcased a new type of massive aerial bomb, which it dubbed the Chinese version of the “Mother of All Bombs” due to its huge destruction potential that is claimed to be only second to nuclear weapons. https://t.co/Xwa470K0R5 pic.twitter.com/bWDvmfvcyk
— Global Times (@globaltimesnews) January 3, 2019
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बीजिंग में रहने वाले एक सेना विशेषज्ञ वी डोंगशु ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि अगर चीन के इस बम की अमरीकी बम से तुलना करें तो इसका आकार छोटा है.
उन्होंने अनुमान लगाया कि चीन के बम का आकार पांच से छह मीटर लंबा है जबकि इसकी तुलना में अमरीकी बम करीब 10 मीटर लंबा है. वह लंबा होने के साथ-साथ हल्का भी है जिस वजह से उसे कहीं भी ले जाना ज़्यादा आसान है.
अमरीका ने साल 2017 में अफ़ग़ानिस्तान में स्थित इस्लामिक स्टेट के एक ठिकाने पर एमओएबी बम गिराया था.
इसके अलावा रूस के पास भी इस बम का अपना संस्करण है. वे इसे 'फ़ादर ऑफ़ ऑल बॉम्ब' कहते हैं. यह अमरीकी बम की तुलना में अधिक बड़ा है और जहां गिराया जाता है वहां शॉकवेव से भी अधिक बड़ा आग का गुबार पैदा हो जाता है.
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