एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटAFPमेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने के मसले पर अमरीका अब तक की सबसे लंबी कामबंदी से जूझ र
मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने के मसले पर अमरीका अब तक की सबसे लंबी कामबंदी से जूझ रहा है.
संघीय सरकार का कामकाज आंशिक रूप से ठप होने के कारण कई विभागों के कर्मचारियों को पिछले महीने से वेतन नहीं मिल पाया है.
दरअसल रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप चाहते हैं कि डेमोक्रैट्स के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा (अमरीकी संसद का निचला सदन) इस दीवार के लिए 5.7 अरब डॉलर का फंड मंज़ूर करे मगर डेमोक्रैट्स इसे अमरीकी नागरिकों के पैसे का दुरुपयोग बताते हुए ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हैं.
प्रतिनिधि सभा से सरकार का कामकाज शुरू करने वाला विधेयक पारित हो चुका है मगर यह तब तक प्रभावी नहीं हो सकता, जब तक रिपब्लिकन बहुमत वाली सीनेट में पारित न हो जाए.
ट्रंप का कहना है कि अगर दीवार के लिए फ़ंड जारी नहीं किया जाता तो वह इस बात के लिए भी तैयार हैं कि कामबंदी कई सालों तक जारी रहे. इस तरह से रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स के बीच गतिरोध बना हुआ है और कामबंदी जारी है.
इमेज कॉपीरइटEPAदरअसल डोनल्ड ट्रंप 2016 में जब राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे थे, उन्होंने वादा किया था कि चुने जाने पर वह मेक्सिको के साथ लगती लगभग 3000 किलोमीटर लंबी सीमा पर दीवार बनाकर उसका ख़र्च भी मेक्सिको से वसूलेंगे.
ट्रंप का कहना था कि अमरीका मेक्सिको से आने वाले अवैध प्रवासियों और सीमा के ज़रिये होने वाली ड्रग्स की तस्करी के कारण नुक़सान उठा रहा है और इससे बचने का एक ही कारगर तरीक़ा है- पूरी सीमा पर कंक्रीट की दीवार बना देना.
ट्रंप को अमरीका का राष्ट्रपति बने दो साल हो गए हैं मगर वह अपना वादा पूरा करने की दिशा में कुछ नहीं कर सके हैं. इस बीच अमरीका-मेक्सिको सीमा पर पहले से मौजूद बैरियर बदले तो गए हैं मगर नई दीवार का निर्माण नहीं हो पाया है.
शुरू से ही ट्रंप की यह योजना आलोचना में रही है मगर अभी तक वह इसके निर्माण को लेकर अड़े हुए हैं.
इमेज कॉपीरइटReutersदीवार बनने से क्या होगा?सवाल उठता है कि इस दीवार को बनाना क्या वाक़ई ज़रूरी है या ट्रंप के लिए यह एक राजनीतिक मसला मात्र है?
दिल्ली की जेएनयू में यूएस एंड लैटिन स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर अब्दुल नाफ़े बताते हैं कि इस तरह की दीवार की ज़रूरत नहीं है.
वह कहते हैं, "ट्रंप ने चुनाव जीतने के लिए अमरीका के गोरे श्रमिक और निम्न मध्यमवर्ग के मन में यह बात बिठाई कि उनकी सारी आर्थिक समस्याएं हिस्पैनिक (स्पैनिश भाषा बोलने वाले) और मेक्सिको के लोगों के कारण है. मेक्सिको और अमरीका की इतनी बड़ी सीमा है, यह नक़ली बॉर्डर है. यह पहले मेक्सिको का ही हिस्सा था. इसमें कई सारी दीवारें, बाड़ और दीवारें बनी हैं. कुछ क़ुदरती बाधाएं भी हैं जिनसे पार नहीं किया जा सकता."
"इतनी बड़ी सीमा पर दीवार बनाना संभव नहीं है. पहले से ही सीमा पर काफ़ी निगरानी है, कई सारे बॉर्डर चेक पोस्ट हैं. यहां पर गश्त होती रहती है और अवैध रूप से आने वाले लोगों को रोका जाता है. ऐसे में यह तो ट्रंप ने चुनाव में वोट हासिल करने के लिए दीवार बनाने का वादा किया था. दीवार बन गई तो लोग उसे फांदकर भी आ सकते हैं, नीचे से सुरंग बनाकर भी आ सकते हैं."
इमेज कॉपीरइटHOMELAND SECURITY INVESTIGATIONS/YUMA SECTOR BPImage caption मेक्सिको-अमरीका की सीमा पर तस्करी के लिए सुरंगों का इस्तेमाल किया जाता रहा है क्या समस्या है प्रवासियों सेभले ही अमरीका में श्रमिक और निम्न मध्यम वर्ग को यह लगता हो कि उन्हें अवैध ढंग से आ रहे प्रवासियों के कारण समस्या होती है, मगर यह भी एक सच है कि ये अवैध प्रवासी अमरीका की अर्थव्यवस्था में बहुत अहमियत रखते हैं.
अमरीका की डेलवेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर डॉक्टर मुक़्तदर ख़ान बताते हैं कि इन अवैध प्रवासियों पर अमरीका के कई सेक्टर निर्भर करते हैं. लेकिन साथ ही कुछ समस्याएं भी हैं, जिनका अमरीका को सामना करना पड़ता है.
प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं, "अमरीका में कई सालों से 1986 से जो अवैध प्रवासी आ रहे हैं, उनकी संख्या 1 करोड़ 15 लाख के आसपास हो चुकी है. ये मेक्सिको, कोलंबिया और ग्वाटेमाला आदि से आए हैं. तो इस कारण कई दिक़्क़तें हैं. एक तो यह कि वे बहुत मेहनती हैं और गर्म जगहों पर भी सख्त परिश्रम करते हैं. इस कारण अमरीका उनपर निर्भर हो चुका है. जैसे कैलिफोर्निया में स्ट्रॉबरी उगाने और चुनने में बड़ी संख्या में वे काम करते हैं. लोगों के घरों पर भी वे काम करते हैं."
इमेज कॉपीरइटGetty Images"चूंकि ये प्रवासी अवैध ढंग से आए होते हैं, इसलिए इन्हें अच्छा वेतन नहीं मिलता और कई जगह तो न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता. ये सर्विस सेक्टर, जैसे कि होटलों में भी काम करते हैं. मनोरंजन जगत में भी हैं. 1986 से पहले भी प्रवासियों को लेकर ऐसी समस्याएं थीं मगर तत्कालीन राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने उस समय इन्हें छूट दी थी कि उस समय अमरीका में मौजूद प्रवासी अगर यह साबित करते हैं कि उन्होंने कृषि क्षेत्र में काम किया है तो वे एक क़िस्म से ग्रीन कार्ड हासिल कर सकते थे."
मगर 1986 के बाद बड़े पैमाने पर लोग आए हैं, तभी इनकी संख्या 1 करोड़ 15 लाख के आसपास पहुंची है. प्रोफ़ेसर मुक्तदर ख़ान बताते हैं कि अमरीका में हिस्पैनिक गैंग सक्रिय हैं. वह बताते हैं कि न्यूयॉर्क और लॉस एंजिलिस के ये गैंग बर्बर हिंसा करते हैं. इसके अलावा ड्रग्स गिरोह खरबों डॉलर के ड्रग्स दक्षिणी बॉर्डर से अमरीका में लाते हैं. ड्रग्स के कारण अमरीका में हेल्थ केयर पर ख़र्च भी बढ़ गया है.
इस दीवार को बनाने के पीछे अमरीका के राष्ट्रपति का यह भी कहना है कि इससे बॉर्डर के ज़रिये होने वाली ड्रग्स की तस्करी भी बंद हो जाएगी. लेकिन क्या ऐसा संभव है? प्रोफ़ेसर अब्दुल नाफ़े कहते हैं कि ड्रग्स की समस्या पर लगाम अमरीका के अंदर से ही लग सकती है.
प्रोफ़ेसर अब्दुल नाफ़े बताते हैं, "पिछले 20 साल में अमरीका के वॉर ऑन ड्रग्स के कारण मेक्सिको का सत्यानाश हो गया है. उसे फ़ोर्स किया है अमरीका ने कि हमारे हथियार ख़रीदो. वहां सेना तक शामिल हो गई है इसमें. जब तक अमरीका में ड्रग्स की मांग रहेगी, सप्लाई जारी रहेगी. यह अमरीकी विशेषज्ञ कहते हैं."
"वैसे भी ड्रग्स से कमाए गए पैसे का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा ही अमरीका से वापस लातिन अमरीका आ पाता है, बाक़ी रक़म अमरीका में ही रहती है. इसका फ़ायदा अमरीका के ड्रग्स गिरोह ही उठा रहे हैं. जो तस्करी कर रहे हैं उन्हें कुछ ख़ास नहीं मिलता."
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption ड्रग्स के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर मेक्सिको में अभियान चल रहा हैलेकिन बात सिर्फ़ ड्रग्स की नहीं है. प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान का मानना है कि अमरीका की गोरी आबादी के एक बड़े हिस्से को यह डर सता रहा है कि कहीं भविष्य में वे अल्पसंख्यक न हो जाएं.
वह कहते हैं, "ड्रग्स लेने वालों के ख़िलाफ़ अमरीका में उतनी सख़्ती नहीं की जाती, जितनी ड्रग्स स्मगल करने वालों पर की जाती है. इस तरह के मामलों को लेकर अमरीका में पेचीदगियां तो थीं मगर पिछले चार-पांच सालों से यह स्पष्ट हो गया है कि अमरीका में गोरी आबादी धीरे-धीरे अल्पसंख्यक होती जा ही है. हो सकता है कि 2050 में गोरे अल्पसंख्यक हो जाएं. अभी अमरीका में वे 60 से 65 प्रतिशत हैं. 12-13 प्रतिशत अफ्रीकी-अमरीकी हैं, 15-17 प्रतिशत हिस्पैनिक और बाक़ी लोग एशियाई, भारतीय या अरब हैं. तो इनकी मौजूदगी, ड्रग्स की समस्या, गोरी आबादी की चिंता... इस सबसे परेशान होकर अमरीका में एक वर्ग चाहता है कि न सिर्फ़ इमिग्रेशन को ख़त्म कर दिया जाए, उन्हें आने से न सिर्फ़ रोका जाए बल्कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजा जाए."
अवैध प्रवासियों से होता है फ़ायदाअमरीका में हाल के दिनों में अवैध ढंग से घुसने वाले प्रवासियों की तुलना में उनकी संख्या बढ़ी है जो वीज़ा लेकर आते हैं मगर उसकी अवधि ख़त्म होने पर भी वहीं रहते हैं.
इमेज कॉपीरइटReutersमगर प्रोफ़ेसर अब्दुल नाफ़े कहते हैं कि इन लोगों में बड़ी संख्या सीज़नल लेबर की होती है जो खेती वग़ैरह में काम करने के लिए आते हैं और फिर वापस चले जाते हैं. इससे उन्हें भी फ़ायदा होता है और अमरीकी लोगों को भी.
इसे समझाते हुए प्रोफ़ेसर नाफ़े कहते हैं, "अमरीका में इल्लीगल (अवैध) वे हैं जो वीज़ा लेकर ओवरस्टे करते हैं और दूसरे वो जो ग़ैरक़ानूनी ढंग से घुसते हैं. ये सामान्यत: वापस चले जाते हैं. दरअसल अमरीका में खेतों में काम करने के लिए मेक्सिको से सीज़नल लेबर आती है. वे कुछ महीनों तक ओवरस्टे करें तो भी वापस चले जाते हैं. दरअसल मेक्सिको और अमरीका में गोल दायरे में माइग्रेशन चलता है. ऐसा नहीं है कि जो मेक्सिकन अमरीका में चला गया, वह वापस नहीं लौटेगा. यह कोई स्थायी घटनाक्रम नहीं है."
"ये लोग या तो सीज़नल लेबर के तौर पर खेतों में काम करते हैं या फिर शहरों के अंदर मिडल क्लास परिवारों में कुक या नैनी के तौर पर काम करते हैं. ये कम आय वाले काम करने को भी तैयार हो जाते हैं. दो डॉलर प्रतिघंटा की दर से भी. कैलिफ़ोर्निया में कार धोने से लेकर अन्य कामों तक सस्ते में ये लोग मिल जाते हैं. सेंट्रल अमरीका और मेक्सिको से आए ये लोग खेती से जुड़े काम भी करते हैं. अगर ये लोग न हों तो अमरीका में कृषि क्षेत्र फ़ायदे में होता ही नहीं."
ऐसे में सवाल उठता है कि जब अमरीका के लोगों को अवैध प्रवासियों से फ़ायदा भी होता है तो फिर क्यों उनका विरोध हो रहा है? प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान का कहना है कि बात सिर्फ़ अमरीका की नहीं, पूरी दुनिया में प्रवासियों को लेकर एक अजीब भावना पैदा हो गई है.
वह बताते हैं कि आज पूरी दुनिया में बहुसंख्यक ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे अल्पसंख्यक हों. वह कहते हैं, "यह जो प्रवासन हो रहा है, इससे वैश्विक स्तर पर देशों में ऐसे लोग आ रहे हैं, जो वहां के निवासियों से नस्ल आदि के आधार पर अलग होते हैं. इससे लोगों को अपनी पहचान को लेकर डर पैदा हो गया है कि हम तो ख़ुद अल्पसंख्यक बन जाएंगे, हमारा देश बदल जाएगा. यहां अमरीका में ओबामा के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद कुछ लोग डर गए. क्योंकि अफ़वाह फैल गई थी कि ओबामा का तो जन्म भी कीनिया में हुआ था. इस कारण लोगों को लगा कि हमारा देश विदेशियों और प्रवासियों के पास चला जाएगा."
असुरक्षा की इस भावना को समझाते हुए प्रोफ़ेसर मुक़तदर ख़ान कहते हैं, "इस साल कांग्रेस में दो मुस्लिम महिलाएं चुनकर आई हैं. एक फ़लस्तीनी हैं और एक सोमाली. एक हिजाब पहनती हैं. दोनों ने बाइबल के बजाय क़ुरान पर हाथ रखकर शपथ ली. इसी तरह कांग्रेस में हिंदू भी आ गए हैं. तो गोरा समुदाय परेशान हो गया है."
इमेज कॉपीरइटEPAImage caption डेमोक्रैटिक प्रतिनिधि इलहम उमरप्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान बताते हैं कि अमरीका में एशियाई-अमरीकी (चीनी, कोरियाई, भारतीय और पाकिस्तानी मूल के अमरीकी) 5 या 6 प्रतिशत से अधिक नहीं हैं मगर शीर्ष 20 विश्वविद्यालयों में उनकी संख्या 20 से 21 प्रतिशत है. यहां पर तो कोटा लागू करके इसे ब्लॉक किया है. स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में कोटा नहीं है, वहां 30-35 प्रतिशत एशियाई हैं.
वह कहते हैं, "इनमें डर बैठ गया है कि एशियन लोग तो प्रतिभा के दम पर ऊंचे स्थान पर पहुंच गए हैं. इन्हें लगता है कि एशियाई और ब्लैक व हिस्पैनिक आबादी के बीच वे फंस गए हैं. चूंकि अमरीका में लोकतंत्र है, ऐसे में नंबर कम हो जाएं तो पावर भी चली जाएगी. अमरीका के लिए पहचान का संकट पैदा हो गया है. इस कारण एक वर्ग चिंतित है कि उनका देश गोरा या ईसाई देश रहेगा या नहीं. इसी कारण अमरीका को दीवार का मुद्दा इस बात पर चर्चा का मुद्दा दे चुका है कि अमरीका का भविष्य क्या होगा."
'डेमोक्रैट्स-रिपब्लिकन एक जैसे'
आज भले ही मानवीय संकट और नैतिकता के सवाल जैसे विषयों को लेकर अमरीका में रिपब्लिकन्स और डेमोक्रैट्स के बीच तनातनी बनी हुई है मगर प्रोफ़ेसर अब्दुल नाफ़े कहते हैं कि जब डेमोक्रैट राष्ट्रपति बराक ओबामा सत्ता में थे तब भी बड़ी संख्या में प्रवासियों को वापस उनके देश भेजा गया था.
"डेमोक्रैट्स भी कम नहीं हैं. ओबामा के दौर में कई लाख लोग वापस भेजे गए. पूरे सेंट्रल अमरीका में जो मुश्किल आ रही है, वह इसी कारण आ रही है. जो अवैध प्रवासी लीगल कर दिए गए थे, अगर उन्हें ट्रैफ़िक नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा जाए तो वापस भेज दो. इस नीति के कारण जो लोग वापस भेजे गए हैं, ये अमरीका की ओर आने वाला कारवां उन्हीं लोगों का था. सच ये है कि डेमोक्रैट्स और रिपल्बिकन ने इसे न मानवाधिकारों के आधार पर देखा न नैतिकता के आधार पर. दोनों पार्टियों में प्रवासी विरोधी भावना है."
इमेज कॉपीरइटAFPImage caption बीते साल अक्तूबर में उत्तरी हॉन्डुरस से कारवां अमरीका की ओर चला थाप्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान का मानना है कि यह समस्या दीवार से ख़त्म होने वाली नहीं है. वह बताते हैं कि ओबामा के दौर में क़रीब 35 लाख लोग गिरफ़्तार करके वापस भेजे गए थे और ट्रंप तो अभी इन आंकड़ों के क़रीब भी नहीं आए हैं.
वह कहते हैं, "डेमोक्रैट्स और रिपल्बिकन ने पिछले सात-आठ सालों से दीवारें बनाना शुरू कर दिया था. कैलिफोर्निया, न्यू मेक्सिको और टेक्सस में बाक़ायदा दीवारें खड़ी हैं. ये वे हिस्से हैं जहां ज़्यादा लोग आते हैं. 500-600 मील में दीवार, बैरियर या फेंस बन चुकी है. ट्रंप ने इस मुद्दे को अपनी आइडेंटिटी का हिस्सा बनाने की कोशिश की है. मगर इससे ड्रग्स पर तो कुछ असर होगा नहीं."
इमेज कॉपीरइटReuters"हो सकता है महिलाएं और बच्चे दीवार बनने के कारण न आ पाएं मगर बाक़ी युवा लोग तो काफ़ी ख़तरनाक रास्तों से आते रहे हैं और आगे भी आएंगे. लोग तो वीज़ा लेकर भी आते हैं और ओवरस्टे करते हैं. दीवार से कुछ ख़त्म नहीं होगा. ये दोनों पार्टियों का प्रमुख मुद्दा था मगर ट्रंप ने इसे अपने चुनाव अभियान का मुख्य हिस्सा बना लिया. अब इसी पर दोनों पार्टियों में झगड़ा हुआ और कामबंदी शुरू हो गई."
मेक्सिको के हिस्से अमरीका मेंमेक्सिको और अमरीका के बहुत से हिस्सों में लोगों के इधर से उधर आने-जाने का पुराना इतिहास रहा है. प्रोफ़ेसर अब्दुल नाफ़े बताते हैं कि कई इलाक़े ऐसे हैं, जो आज अमरीका में हैं मगर पहले वे मेक्सिको में हुआ करते थे
उन्होंने कहा, "टेक्सस, कैलिफोर्निया, एरिज़ोना, न्यू मेक्सिको, फ्लोरिडा मेक्सिको के हिस्से थे. 1838 में नक़ली, बनावटी युद्ध हुआ और इन इलाक़ों को अमरीका ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया. इसे अमरीका-मेक्सिको बॉर्डर वॉर कहते हैं. इन हिस्सों में स्पैनिश बोलने वाले मेक्सिन लोगों की आबादी थी, वे कहते रहे कि हमें आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं दिया. वे तो 1970-80 के दशक तक संयुक्त राष्ट्र की डिकॉलनाइज़ेशन कमेटी में भी जाते थे."
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesआज मेक्सिको में जिन समस्याओं के कारण अमरीका की ओर पलायन हो रहा है, जानकारों का कहना है कि उनमें से कुछ अमरीका की ही देन हैं और यह समस्या तब तक नहीं सुलझेगी, जब तक मेक्सिको में ही लोगों का जीवन स्तर बेहतर न हो जाए.
प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान इस विषय पर कहते हैं, "अमरीका के साथ मेक्सिको की इतिहास से जुड़ी हुई शिकायतें हैं. जैसे कि टेक्सस और कैलिफोर्निया जो अमरीका के दो बड़े राज्य हैं, वे मेक्सिको के हिस्से थे. अमरीका ने उन्हें छीन लिया जंग के दौरान मेक्सिको से. न्यू मेक्सिको एक राज्य है वह भी मेक्सिको का हिस्सा था. दूसरा मसला यह है कि मेक्सिको के लोग कहते हैं कि उसे नस्लभेद होता है, फ़िल्मों और मीडिया में उन्हें ग़लत रूप में दर्शाया जाता है."
"पिछले 15-20 सालों से अमरीका ने मेक्सिको में जो वॉर ऑन ड्रग्स छेड़ा है, उससे मेक्सिको के बॉर्डर्स पर हथियार पहुंच गए हैं. इस कारण वहां हज़ारों की संख्या में पुलिस और आम नागरिकों की मौत हुई है. अन्य देशों से ड्रग्स मेक्सिको के माध्यम से ही अमरीका में आते हैं. तो इतने बड़े गिरोह हैं, उनके पास इतना पैसा है कि उन्होंने मेक्सिको की सरकार, सेना और पुलिस को भ्रष्ट कर दिया है. इससे मेक्सिको में क्राइम रेट बढ़ गया है."
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesएक बड़ी समस्या यह भी है कि अमरीका में मौजूद मेक्सिको के वैध या अवैध प्रवासी जो अपने देश को पैसा भेजते हैं, उसके कारण मुद्रा बदलने को लेकर अमरीका पर मेक्सिको की निर्भरता बढ़ती है. यही कारण है कि वहां ग़रीबी है. हालांकि मेक्सिको में बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन हैं, वह तेल का उत्पादन करने वाला प्रमुख देश है मगर भ्रष्टाचार के कारण वह इन संसाधनों का फ़ायदा नहीं उठा पा रहा.
लेकिन अमरीका से मेक्सिको को फ़ायदे भी हैं. अमरीका ने मेक्सिको में निवेश भी किया है. कनाडा, मेक्सिको और अमरीका के बीच हुए नैफ्टा (NAFTA) समझौते के बाद अमरीका से बहुत सारी नौकरियां मेक्सिको चली गईं. इस फ़्री ट्रेड अग्रीमेंट के कारण कई कार कंपनियां मेक्सिकों में खुलीं. इससे वहां लाखों नौकरियां पैदा हुईं. प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान बताते हैं कि इस तरह से अमरीका के साथ रहने से मेक्सिको को फ़ायदे भी हैं और नुक़सान भी.
फिर हल क्या है?डोनल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान दीवार बनाने की बात कही थी. मगर मेक्सिको चाह रहा है कि अमरीका इस दीवार पर पैसा ख़र्च करने के बजाय मेक्सिको की अर्थव्यवस्था में निवेश करे. इससे अच्छी नौकरियां पैदा होंगी तो लोगों को अमरीका की ओर माइग्रेट करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
इमेज कॉपीरइटReutersजहां तक दीवार की बात है, अमरीका-मेक्सिको की सीमा पर ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले से ही 1000 कीलोमीटर तक बैरियर लगे हैं. आधे में पैदल यात्रियों को रोकने के लिए तो आधे में गाड़ियों को रोकने के लिए बाड़ लगाई गई है.
ऐसे में ट्रंप कभी कंक्रीट की दीवार बनाने की बात करते हैं तो कभी स्टील की. इसकी लागत कितनी आएगी, इसे लेकर भी कुछ नहीं कहा जा सकता.
जानकारों का कहना है कि न तो इस दीवार को बना पाना संभव लगता है और न ही इस बात की गारंटी है कि इसके बनने से समस्याएं सुलझ जाएंगी. इसलिए ये दीवार फ़िलहाल तो अमरीकी सरकार में कामबंदी के कारण कर्मचारियों के वेतन के बीच दीवार बनकर खड़ी हो गई है.
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