एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesभारत शनिवार को गणतंत्र दिवस की 70वीं सालगिरह मना रहा है. इस मौक़े पर दक्षिण
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भारत शनिवार को गणतंत्र दिवस की 70वीं सालगिरह मना रहा है. इस मौक़े पर दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामापूसा भारत के मेहमान हैं.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रामापूसा की ये यात्रा देश के लिए महत्वपूर्ण है और इससे दोनों देशों के बीच संबंध और गहरे होंगे.
रामापूसा दक्षिण अफ़्रीका के दूसरे राष्ट्रपति हैं जो गणतंत्र दिवस पर भारत के मेहमान बने हैं. इससे पहले दक्षिण अफ्ऱीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला साल 1995 में गणतंत्र दिवस पर बतौर मेहमान शामिल हुए थे.
सबसे रईस नेताओं में शामिल
सीरिल रामापूसा दक्षिण अफ्ऱीका में रंगभेद के विरूद्ध लड़ाई लड़ने वाले नेताओं में प्रमुख नेता रहे हैं. वो नेल्सन मंडेला के पसंदीदा और ख़ास लोगों में माने जाते थे. 17 नवंबर 1952 को जन्मे रामापूसा को मुख्य तौर पर एक सफल व्यवसायी और राजनेता के तौर पर जाना जाता है.
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वो तेज़ रफ़्तार कारों के शौक़ीन हैं और विंटेज वाइन (पुरानी शराब) के भी. उन्हें मछली पकड़ने का भी शौक है तो खेती करना भी पसंद करते हैं. वो देश के सबसे रईस राजनेताओं में से एक हैं. उनके पास क़रीब 31 अरब रुपये की संपत्ति है.
बीते साल दिसंबर में जब उन्हें सत्ताधारी अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था तब ही ये तय हो गया था कि वो जल्द ही दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति बनने के अपने सपने को पूरा कर लेंगे.
किसी ज़माने में प्रमुख ट्रेड यूनियन नेता रहे सीरिल रामापूसा आज अफ़्रीका में काले उद्योगपतियों के अगुवा हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesमंडेला से हो गए थे नाराज़
एक दिलचस्प बात यह है कि वो सफल व्यवसायी तो हैं लेकिन ये उनके जीवन का मक़सद कभी नहीं रहा. उनका मक़सद हमेशा से साफ़ रहा कि उन्हें नेल्सन मंडेला का दायां हाथ बनना है और उनके बाद ज़िम्मेदारी संभालनी है.
लेकिन जब मंडेला ने सीरिल रामापूसा को अपना डिप्टी बनाने के बजाए थाबो मबेकी को अपना उपराष्ट्रपति चुना तो सीरिल रामापूसा का राजनीति से ऐसा दिल टूटा कि वो व्यापार में चले गए.
सीरिल रामापूसा इतने नाराज़ थे कि उन्होंने मंडेला के शपथग्रहण में भी हिस्सा नहीं लिया और सरकार में भी कोई पद स्वीकार नहीं किया.
65 वर्षीय रामापूसा दक्षिण अफ़्रीका के प्रभावशाली लोगों में रहे हैं. लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesगिरगिट से हुई तुलना
उनकी बायोग्राफ़ी लिखने वाले एंटी बटलर ने एक बार उन्हें गिरगिट कहा था. बटलर कहते हैं, "उनमें अपने आप को दूसरे लोगों के सामने अपनी मर्ज़ी के हिसाब से पेश करने की क्षमता है."
1952 में जोहानसबर्ग के पास सोवेटो इलाक़े में पुलिस सर्जेंट के घर पैदा हुए सीरिल रामापूसा का झुकाव धार्मिक शिक्षा की ओर भी रहा.
बटलर बताते हैं, "हाई स्कूल की शिक्षा के दौरान उनके हाथ में बाइबल रहती और वो सामुदायिक सेवा भी किया करते."
क़ानून की पढ़ाई के दौरान सीरिल रामापूसा रंगभेद के ख़िलाफ़ आंदोलन से जुड़ गए. 1974 में उन्हें गिरफ़्तार करके जेल में रखा गया.
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इसके दो साल बाद उनके गृहक्षेत्र सोवेटो में छात्र रंगभेद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने स्कूल की यूनिफॉर्म पहने छात्रों पर कार्रवाई की. इसमें सैकड़ों छात्र मारे गए.
रामापूसा को एक बार फिर जेल भेज दिया गया. एंटनी बटलर कहते हैं, "बिना सुनवाई के दो बार जेल भेजे जाने के उनके अनुभव दुखद थे. जब वो जेल से बाहर आए तो बिलकुल अकेले थे. नौकरी की कोई संभावना नहीं थी और तब तक उनके दोस्त उनसे दूर हो गए थे."
इसके बाद वो खनन कर्मियों की यूनियन से जुड़ गए और अगले एक दशक में उन्होंने देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन का गठन कर दिया जिसमें तीन लाख सदस्य थे और जो अपने अधिकारियों के लिए बड़े प्रदर्शन करने में सक्षम थी.
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1986 में दक्षिण अफ़्रीका में देशव्यापी आपातकाल लगा दिया गया. पुलिस राजनीतिक कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मार रही थी. सीरिल रामापूसा के घर पर भी छापे मारे जा रहे थे.
1990 आते आते अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में रामापूसा का क़द काफ़ी बढ़ चुका था और वो नेल्सन मंडेला की रिहाई के प्रयास कर रही पार्टी की रिसेप्शन समिति के अध्यक्ष बन गए.
दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद का किला टूट रहा था और 1990 में नेल्सन मंडेला को जेल से रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद मंडेला जब अपना ऐतिहासिक भाषण दे रहे थे तब रामापूसा उनके बगल में माइक थामे खड़े थे.
रामापूसा को 1991 में पार्टी का महासचिव नियुक्त कर दिया गया. लेकिन 1994 में नेल्सन मंडेला जब राष्ट्रपति बने और उन्होंने रामापूसा की जगह थाबो मबेकी को अपना उपराष्ट्रपति चुना तो सब चौंक गए.
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मंडेला स्वयं तो रामापूसा को अपना डिप्टी बनाना चाहते थे लेकिन पार्टी के बाकी वरिष्ठ नेता इसके पक्ष में नहीं थे.
राजनीतिक जीवन में मिले झटके के बाद रामापूसा ने अपने आप को फिर से परिभाषित किया और वो उद्योग की दुनिया में चले गए.
कहा जाता है कि नेल्सन मंडेला ने उद्योग जगत में पैर जमाने में रामापूसा की ख़ूब मदद की और उन्हें एक उद्योगपति से बड़ा लोन भी दिलवाया.
वो जैज़ संगीत पसंद करते हैं, पुरानी शराब के शौक़ीन है और दुर्लभ प्रजाति के पशुओं के दीवाने हैं. उनकी सबसे पसंदीदा गायें हैं जिनकी तस्वीर वो अपनी जेब में रखते हैं. और समय-समय पर उन्हें लोगों को दिखाते भी रहते हैं.
एक नज़र
- जोहानसबर्ग के सोवेटो में जन्म
- रंगभेद विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से साल 1974 औक 1976 में हिरासत में लिए गए
- साल 1982 में नेशनल यूनियन माइनवर्कर्स बनाया
- साल 1990 में नेल्सन मंडेला की जेल से रिहाई के लिए काम करने वाली नेशनल रिसेप्शन कमिटी के चेयरपर्सन बने
- साल 1994 में सांसद और संवैधानिक सभा के अध्यक्ष
- साल 1997 में पूरी तरह व्यापार में केंद्रित हो गए और दक्षिण अफ्ऱीका के सबसे रईस व्यापारियों में से एक बन गए
- 2017 में एएनसी के नेता चुने गए
- 15 फरवरी 2018 को राष्ट्रपति चुने गए
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