एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesअमरीका की एक पत्रिका ने प्राणायाम को एक नया नाम देकर उसके फ़ायदे बताने शुरू
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अमरीका की एक पत्रिका ने प्राणायाम को एक नया नाम देकर उसके फ़ायदे बताने शुरू किए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने प्राणायाम का इतिहास याद दिला दिया.
साइंटिफ़िक अमेरीकन नाम की मैग्जीन ने जिस तरह से 'कार्डियाक कोहेरेंस ब्रीदिंग' के फ़ायदे और फ़ोटो का इस्तेमाल किया है उससे साफ प्रतीत होता है कि मैग्जीन प्राणायाम की बात कर रही है.
मैग्ज़ीन ने प्रॉपर ब्रीदिंग ब्रिंग्स बेटर हेल्थ में कार्डियाक कोहेरेंस ब्रीदिंग के बारे में बताया है, जिसमें सांस लेने जैसी कई तकनीकों पर ध्यान दिया गया है. इसमें बताया गया है कि कैसे इस एक्सरसाइज़ से अनिद्रा और मन को शांत रखा जा सकता है, नियमित करते रहने से कैसे रक्तचाप को नियंत्रित किया सकता आदि.
इसमें प्राणायाम का भी ज़िक्र करते हुए लिखा गया है कि प्राणायाम योग श्वसन संबंधी नियंत्रण को लेकर पहला सिद्धांत था जिसे दीर्घायु के लिए एक असरदार तरीका माना जाता था.
लेकिन सोशल मीडिया पर इसे शेयर करते ही भारतीयों ने मैग्ज़ीन की काफ़ी आलोचना की.
मैग्ज़ीन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्वीटर पर लिखा है कि कार्डियाक कोहेरेंस ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ दिल की धड़कन को स्थिर करती है और इससे मन को शांत रखने की क्षमता मजबूत होती है.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @sciam
Cardiac coherence breathing exercises can stabilize the heartbeat and have a powerful ability to dampen anxiety. https://t.co/jHA8djKOsB pic.twitter.com/Ve7hM0myoW
— Scientific American (@sciam) 27 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @sciam
प्राणायाम को नया नाम देने पर कई भारतीयों ने मैग्ज़ीन को प्राणायाम का अर्थ बताया और इसके अंग्रेज़ी नामकरण पर विरोध जताया.
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने भी लिखा, “2500 साल पुरानी प्राणायाम की भारतीय तकनीक के फायदों का विस्तार से वर्णन, 21वीं सदी की वैज्ञानिक भाषा में कार्डियक कोहरेंस ब्रीथिंग! पश्चिमी देशों को अभी कुछ सदियां लग जाएंगी ये सब सीखने में जो हमारे पूर्वज एक जमाने पहले सिखाकर गए हैं. लेकिन, आपका स्वागत है”.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @ShashiTharoor
Detailed description of the benefits of the 2500-year-old Indian technique of pranayama, dressed up in 21st c. scientific language as “cardiac coherence breathing”! It's taking the West a few millennia to learn what our ancients taught us millennia ago, but hey, you're welcome... https://t.co/LLltRZ3pP5
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) 29 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @ShashiTharoor
संक्रांत सानु लिखते हैं कि हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति से ज्ञान चुराकर इसे नया नाम देना और इस पर अपना दावा करना, फिर हमारी परंपराओं को अंधविश्वास कहकर उन पर हमला बोलना पश्चिम का इतिहास रहा है.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @sankrant
1. Steal knowledge from ancient cultures and native traditio
2. Rename it and erase origins3. Claim it as your invention, attack native traditions as “superstition.”
History of the West. These techniques come from yoga, developed over millennia of research in India.
— Sankrant Sanu सानु (@sankrant) 28 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @sankrant
तनवी नरुला नाम की महिला लिखती हैं कि हां इसे प्रणायाम कहते हैं. ये योगा का हिस्सा है. इसे हथियाने से पहले एक बार इसके बारे में जान लेते.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @tanvinarula6
Yeah. It's called “pranayam”. It's part of Yoga. For once recognize something instead of appropriating .
— Tanvi Narula ? (@tanvinarula6) 27 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @tanvinarula6
हिंदू अमरीकन नाम के पेज ने ट्वीट किया कि ये कार्डियाम कोहेरेंस ब्रीदिंग नहीं बल्कि प्रणायाम है और भारत में ये लम्बे समय से है. हिंदुओं के आइडिया चुराकर उसका नाम बदलना छोड़ों.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @HinduAmerica
Huh? It‘s not “cardiac coherence breathing.” It’s called Pranayama and its been around for a long time in India. Quit stealing Hindu ideas and then renaming them.
— Hindu Americans (@HinduAmericans) 27 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @HinduAmerica
जबकि एक यूज़र का कहना है कि बहुत अच्छा स्पष्ट किया लेकिन जिसे ऐसा करने पर गुस्सा आ रहा है वो भी थोड़ा योगा कर ले.