एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटIAFमिग-21 बाइसन आधुनिक हथियारों से लैस मिग-21 सिरीज़ का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है. इसका
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मिग-21 बाइसन आधुनिक हथियारों से लैस मिग-21 सिरीज़ का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है. इसका उपयोग इंटरसेप्टर के रूप में किया जाता है.
इंटरसेप्टर लड़ाकू विमानों को दुश्मन के विमानों, ख़ासकर बमवर्षकों और टोही विमानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है.
भारतीय वायुसेना ने पहली बार 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था.
करगिल युद्ध के बाद से भारतीय वायुसेना अपने बेड़े से पुराने मिग-21 विमानों को हटाकर इसी उन्नत मिग-21 बाइसन को शामिल कर रही है.
बाइसन को बलालैका के नाम से भी बुलाया जाता है. नैटो सेनाएं इसे फिशबेड के नाम से भी बुलाती हैं.
इमेज कॉपीरइटAFP/Getty Imagesमिग-21 बाइसन की ख़ासियत
मिग-21 बाइसन में एक बड़ा सर्च एंड ट्रैक रडार लगा है जो रडार नियंत्रित मिसाइल को संचालित करता है और रडार गाइडेड मिसाइलों का रास्ता तय करता है.
इसमें बीवीआर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो आखों से ओझल मिसाइलों के ख़िलाफ़ सामान्य लेकिन घातक लड़ाकू विमान को युद्ध क्षमता के योग्य बनाता है.
इन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक और इसकी कॉकपिट उन्नत क़िस्म की होती है. मिग-21 बाइसन, ब्राज़ील के अपेक्षाकृत नए एफ़-5ईएम फ़ाइटर प्लेन के समान है.
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मिग-21 बाइसन सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जो लंबाई में 15.76 मीटर और चौड़ाई में 5.15 मीटर है. बिना हथियारों के ये क़रीब 5200 किलोग्राम को होता है जबकि असलहा लोड होने के बाद क़रीब 8,000 किलोग्राम तक के वज़न के साथ उड़ान भर सकता है.
सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने इसे 1959 में बनाना शुरु किया था. 1961 में भारत ने मिग विमानों को रूस से ख़रीदने का फ़ैसला किया था.
बाद के दौर में इसे और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रही और इसी क्रम में मिग को अपग्रेड कर मिग-बाइसन सेना में शामिल किया गया.
मिग-21 एक हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है. और 18 हज़ार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है.
इसकी स्पीड अधिकतम 2,230 किलोमीटर प्रति घंटे यानी 1,204 नॉट्स (माक 2.05) तक की हो सकती है.
ये आसमान से आसमान में मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ और बम ले जा सकने में सक्षम है.
1965 और 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में मिग-21 विमानों का इस्तेमाल हुआ था. 1971 में भारतीय मिग ने चेंगड़ु एफ़ विमान (ये भी मिग का ही एक और वेरियंट था जिसे चीन ने बनाया था) को गिराया था.
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मिराज-2000 और इसकी ख़ासियत
मिराज-2000 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है जिसका निर्माण फ़्रांस की डासो एविएशन कंपनी ने किया है. ये वही कंपनी है जिसने रफ़ाल लड़ाकू विमान बनाया है.
मिराज-2000 की लंबाई 47 फ़ीट और वज़न 7,500 किलो है. यह अधिकतम 2,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है.
मिराज-2000 13,800 किलो गोला बारूद के साथ 2,336 किलोमीटर की गति से उड़ सकता है.
डबल इंजन वाला मिराज-2000, चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल लड़ाकू विमान और माक 2 है. भारत ने पहली बार इसे 80 के दशक में ख़रीदने का ऑर्डर दिया था.
करगिल युद्ध में मिग-21 के साथ मिराज-2000 विमानों ने भी अहम भूमिका निभाई थी.
साल 2015 में कंपनी ने अपग्रेडेड मिराज-2000 लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को सौंपे. इन अपग्रेडेड विमानों में नए रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगे हैं, जिनसे इन विमानों की मारक और टोही क्षमता में भारी इज़ाफ़ा हो गया है.
लेकिन फ़्रांस ने ये विमान केवल भारत को ही नहीं बेचा, बल्कि आज की तारीख़ में नौ देशों की वायुसेना इस विमान का इस्तेमाल करती हैं.
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मिराज-2000 में जुड़वां इंजन हैं. सिंगल इंजन होने की वजह से लड़ाकू विमानों का वज़न कम होता है जिससे उनके मूवमेंट में आसानी होती है. लेकिन कई बार इंजन फेल होने से विमान के क्रैश होने की आशंका रहती है.
ऐसी स्थिति में यदि लड़ाकू विमान में एक से अधिक इंजन हो तो एक इंजन फेल होने पर दूसरा इंजन काम करता रहता है. इससे पायलट और विमान दोनों सुरक्षित रहते हैं.
दो इंजन होने की वजह से मिराज-2000 के क्रैश होने की संभावना बेहद कम है.
मिराज-2000 विमान एक साथ कई काम कर सकता है. जहां एक ओर यह अधिक से अधिक बम या मिसाइल गिराने में सक्षम है. वहीं यह हवा में दुश्मन का मुक़ाबला भी आसानी से करने के योग्य है.
मिराज लड़ाकू विमान DEFA 554 ऑटोकैन से लैस है, जिसमें 30 मिमी रिवॉल्वर प्रकार के तोप हैं.
ये तोप 1200 से लेकर 1800 राउंड प्रति मिनट की दर से आग उगल सकते हैं. साथ ही ये एक बार में 6.3 टन तक असला ले जाने में सक्षम है.
ये विमान आसमान से आसमान में मार करने वाली और आसमान से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलें, लेज़र गाइडेड मिसाइलें, परमाणु शक्ति से लस क्रूज़ मिसाइलें ले जाने में सक्षम है.
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