एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटAFPपाकिस्तानी नौसेना ने दावा किया है कि उसने भारतीय पनडुब्बी के अपने समुद्री सीमा में घु
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पाकिस्तानी नौसेना ने दावा किया है कि उसने भारतीय पनडुब्बी के अपने समुद्री सीमा में घुसने की कोशिश को नाकाम किया है.
पाक नौसेना के प्रवक्ता की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि पाकिस्तानी समुद्री ज़ोन में भारतीय पनडुब्बी के मौजूद होने का सुराग मिला है और उसे पाकिस्तानी पानी में दाख़िल होने से रोक दिया गया.
पाकिस्तान का कहना है कि उसने जानबूझ कर भारतीय पनडुब्बी पर हमला नहीं किया क्योंकि वो इलाके में शांति चाहता है.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @PTIofficial
Pakistan Navy detects Indian submarine, foils intrusion into its waters but refrains from hitting the submarine as a gesture of peace. Another manifestation of our military capability as well as will to maintain peace in the region!
https://t.co/4OIpXT9fsH
— PTI (@PTIofficial) 5 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @PTIofficial
पाकिस्तान के इस दावे को भारतीय नौसेना ने प्रोपेगैंडा करार दिया है और खारिज कर दिया है.
भारतीय नौसेना का कहना है कि हमारी तैनाती राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए होती है. बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान झूठी ख़बरें फ़ैलाने में लगा है. हम इस तरह के किसी प्रोपेगैंडा का संज्ञान नहीं लेते. हमारी सेना की तैनाती बनी रहेगी."
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @indiannavy
The #IndianNavy does not take cognizance of such propoganda. Our deployments remain undeterred. 2/2 @SpokespersonMoD @DefenceMinIndia @nsitharaman @DrSubhashMoS @IAF_MCC @adgpi @airnewsalerts @DDNational @PIB_India @PMOIndia
— SpokespersonNavy (@indiannavy) 5 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @indiannavy
लेकिन इस पूरे वाकये ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि आख़िर किसी देश की अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा क्या होती है, और पाकिस्तान की समुद्री सीमा क्या है?
अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा क्या है?
इस बारे में पाकिस्तानी नौसेना के पूर्व एडमिरल इफ़्तेख़ार राव ने बीबीसी को बताया कि किसी भी देश की समुद्री सीमाओं को अलग-अलग ज़ोन में बांटा जाता है.
देश के समुद्र तट पर एक बेसलाइन बनाई जाती है. उस बेसलाइन से 12 नॉटिकल मील समुद्र की ओर तक के पानी को टेरिटोरियल (अधीनस्थ क्षेत्र) वॉटर कहा जाता है. ये ही देश की रक्षात्मक समुद्री हद होती है.
ये बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे कि ज़मीनी सरहद, अंतर केवल पानी का होता है. इसकी सीमाएं समुद्री हद में होती हैं. 12 नॉटिकल मील के बाद के अगले 12 नॉटिकल मील को 'कन्टिग्यूअस ज़ोन' यानी 'साथ लगे इलाक़े' का पानी कहलाता है जो पारंपरिक रूप से चौबीस नॉटिकल मील बनता है.
इसमें किसी देश के कस्टम और व्यापार से जुड़े क़ानून लागू होते हैं.
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पूर्व एडमिरल इफ़्तेख़ार राव के मुताबिक़ एक तीसरा ज़ोन भी होता है जो विशेष आर्थिक ज़ोन कहलाता है. इसकी सीमा उस देश की बेसलाइन से 200 नॉटिकल मील आगे तक होती है.
इस क्षेत्र मे कोई भी देश सिर्फ़ आर्थिक गतिविधियां कर सकता है, जैसे कि तेल की खोज या मछली पकड़ना आदि.
इससे भी आगे फिर एक्सटेंशन ऑफ़ कांटिनेंटल शेल्फ़ (Extension of Continental Shelf) की सीमा शुरू हो जाती है. इसमें भी संयुक्त राष्ट्र के तहत उस देश को समुद्र पर कुछ अधिकार हासिल होते हैं.
पाकिस्तान के समंदर की हद कहां तक है?
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इफ़्तेख़ार राव बताते हैं कि अन्य देशों की तरह पाकिस्तान की समुद्री सीमाएं भी इसी आधार पर तय की गई हैं. यानी एक्सटेंशन ऑफ़ कांटिनेंटल शेल्फ़ तक पाकिस्तान की समद्री सीमाएं हैं.
पाकिस्तान ने एंक्सटेंशन ऑफ़ कांटिनेंटल शेल्फ़ के लिए संयुक्त राष्ट्र में याचिका दी थी जो मंज़ूर हो गई है.
अंतरराष्ट्रीय साझा पानी या सीमाएं क्या हैं?
किसी भी देश के टेरिटोरियल वॉटर यानी सुरक्षात्मक समुद्री सीमा और कन्टिग्यूअस ज़ोन में किसी और देश के जंगी जहाज़ों और पनडुब्बियों को दाख़िल होने की अनुमति नहीं होती है. हालांकि अन्य देशों के मालवाहक जहाज़ों को इस पानी से गुज़रने की इजाज़त दी जा सकती है.
एडमिरल राव का कहना है कि समुद्र तो बहुत बड़ा है लिहाज़ा विशेष आर्थिक ज़ोन यानी 200 नॉटिकल मील से आगे के समंदर को 'कॉमन हेरीटेज़ ऑफ़ मैनकाइंड' यानी मानवता की साझा विरासत कहा जाता है.
ये समुद्र सभी देशों के लिए साझा है और इस पानी में किसी भी देश के कोई भी जहाज़ जा सकते हैं.
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राव बताते हैं कि विशेष आर्थिक ज़ोन एक ऐसा इलाक़ा है जहां कोई दूसरा देश आर्थिक गतिविधियां नहीं कर सकता, अलबत्ता इस पानी से किसी भी दूसरे देश के मालवाहक और जंगी जहाज़ गुज़र सकते हैं.
लेकिन यहां किसी पनडुब्बी को पानी के नीचे गुज़रने की इजाज़त नहीं होती. अगर उसे गुज़रना है तो पानी के ऊपर से ही गुज़रना होता है.
राव कहते हैं कि इसे 'इन्सेंट पैसेज' कहा जाता है. ये भी सुयंक्त राष्ट्र के समुद्री क़ानूनों के मुताबिक ही है.
शांति या तनावः दुश्मन के जंगी जहाज़ रोकने का तरीक़ा क्या है?
ए़़डमिरल राव कहते हैं कि अगर हम भारतीय पनडुब्बी के पाकिस्तानी पानी में घुसने की कथित घटना की बात करें तो ये पनडुब्बी पाकिस्तान की सुरक्षात्मक समुद्री सीमा में नहीं थी.
लेकिन ये पाकिस्तान के विशेष आर्थिक ज़ोन के भीतर थी लिहाज़ा जैसा कि आजकल तनाव का माहौल है तो पाकिस्तान अगर उस पनडुब्बी का पता लगाने के बाद उसे निशाना बनाता तो ये अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन नहीं होता. क्योंकि किसी पनडुब्बी का सुराग लगाना और उस पर नज़र रखना बेहद मुश्किल काम है.
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इस बारे में पाकिस्तानी नौसेना के पूर्व एडमिरल अहमद तसनीम का कहना है कि इस पर प्रक्रिया घरेलू हालात और सरकार की नीति पर आधारित होती है.
उनका कहना है कि किसी जंगी जहाज़ और पनडुब्बी में फर्क़ है क्योंकि जंगी जहाज़ समंदर की सतह पर दिखाई देता है और उसे शांति के दिनों में चेतावनी दी जाती है. लेकिन पनडुब्बी का मक़सद ही जासूसी करना या ख़ुफ़िया जानकारियां जुटाना होता है और इस कारण इसके लिए प्रक्रिया अलग होती है. कभी उसका पीछा किया जाता है और कभी उसे चेतावनी दी जाती है.
वहीं एडमिरल राव कहते हैं कि पाकिस्तान ने न सिर्फ़ भारत की पनडुब्बी का सुराग़ लगाया बल्कि उस पर नज़र भी रखी और उसे सतह पर आने के लिए मजबूर करके ये संदेश दे दिया कि वो जंगी जुनून के माहौल में भी शांति चाहता है. वो कहते हैं कि इसीलिए पाकिस्तानी नौसेना ने भारतीय पनडुब्बी को वापस भारत के पानी में धकेल दिया.
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पाकिस्तान ने अपनी समुद्री सीमा में भारतीय पनडुब्बी का सुराग कहां लगाया, इस बारे में पाकिस्तानी नौसेना के बयान में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
लेकिन एडमिरल राव और एडमिरल अहमद तसनीम इस बात पर सहमत हैं कि पनडुब्बी को पाकिस्तान के विशेष आर्थिक ज़ोन में तकरीबन सौ नॉटिकल मील पर देखा गया था.
भारतीय पनडुब्बी के पाकिस्तानी समुद्री सीमा में घुसने की ये घटना ऐसे वक़्त में हुई है जब दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है.
भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती चरमपंथी हमले और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले के बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध से हालात हो गए थे. हालांकि बीते दो-तीन दिनों में दोनों के बीच तनाव कुछ कम हुआ है.