एब्स्ट्रैक्ट:Image caption नीरव मोदी लंदन के वेस्ट एंड इलाक़े में रह रहे हैं ब्रिटेन के दैनिक अख़बार 'द टेलिग्राफ
Image caption नीरव मोदी लंदन के वेस्ट एंड इलाक़े में रह रहे हैं
ब्रिटेन के दैनिक अख़बार 'द टेलिग्राफ़' ने शनिवार को रिपोर्ट किया कि भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी लंदन के वेस्ट एंड इलाक़े के एक 75 करोड़ रुपये के अपार्टमेंट में रह रहे हैं.
इसके बाद इसी अख़बार की वेबसाइट पर नीरव मोदी का एक वीडियो पब्लिश किया गया जिसमें वह गुलाबी शर्ट और एक महंगी जैकेट पहने नज़र आए.
इस बार नीरव मोदी वह नीरव मोदी नहीं थे जो पुरानी तस्वीरों में नज़र आते थे.
इस बार उनकी दाढ़ी बड़ी हुई थी और लंबी मूंछे तनी हुई थीं. पंजाब नेशनल बैंक के साथ 13 हज़ार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोपी नीरव मोदी से अख़बार के पत्रकार ने कई सवाल पूछे लेकिन उन्होंने इसका 'नो कमेंट्स' में जवाब दिया.
अख़बार ने यह भी दावा किया है कि नीरव मोदी ने वेस्ट एंड के सोहो में हीरे का नया कारोबार भी शुरू किया है.
48 साल के नीरव को लेकर अब तक सिर्फ़ कयास लगाए जाते थे कि वह लंदन में हैं लेकिन उनका वीडियो सामने आने के बाद इसकी पुष्टि हो चुकी है. वहीं, बैंक धोखाधड़ी में दूसरी मुख्य आरोपी और नीरव के चाचा मेहुल चौकसी एंटीगुआ और बारबाडोस की नागरिकता ले चुके हैं.
पीएनबी बैंक घोटाले के सामने आने से पहले दोनों ही आरोपी पिछले साल जनवरी में देश छोड़कर भाग गए थे.
वहीं, बैंकों का क़र्ज़ा लेकर फ़रार एक और शख़्स लंदन में हैं. लिकर किंग के नाम से मशहूर रहे उद्योगपति विजय माल्या इस समय लंदन की अदालत में प्रत्यर्पण के ख़िलाफ़ केस लड़ रहे हैं.
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इमेज कॉपीरइटPAImage caption प्रत्यर्पण के ख़िलाफ़ लंदन की कोर्ट में केस लड़ रहे हैं विजय माल्या लंदन ही क्यों जाते हैं
भारत और पाकिस्तान में भूगोल और संस्कृति के अलावा भी कई समानताएं हैं. इनमें से एक समानता यह भी है कि वहां से भागकर भी लोग लंदन में शरण लेते हैं. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़, बेनज़ीर भुट्टो के अलावा कई आमो-ख़ास लोग लंदन में रहते और छिपते आए हैं.
भारत के नीरव मोदी, विजय माल्या से लेकर मेहूल चोकसी और संगीतकार नदीम सैफ़ी ने भी जाकर लंदन में शरण ली थी.
आख़िरकार ऐसा क्या है जो भारत और पाकिस्तान के विवादित लोग लंदन में शरण लेते रहे हैं?
भारत के पूर्व विदेश सचिव और लंदन में भारत के उच्चायुक्त रहे सलमान हैदर इस सवाल का जवाब देते हैं. वह कहते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह भारत का ब्रिटेन का उप-निवेश रहना है.
वह कहते हैं, लोग इसलिए भागकर जाते हैं क्योंकि भारत और ब्रिटेन का उपनिवेश रहा है और इस वजह से वहां की और यहां की क़ानूनी प्रणाली लगभग एक जैसी है. ब्रिटेन और भारत के क़ानूनी जानकार दोनों देशों के क़ानूनों को बहुत अच्छे से जानते हैं जिससे भागकर गए शख़्स को बहुत लाभ होता है."
क़ानूनी वजहों के अलावा ब्रिटेन में भारत और पाकिस्तान के लोगों का वहां होना भी एक बड़ी वजह है जो कुछ लोग भागकर वहां जाते हैं.
लंदन में बीबीसी संवाददाता नरेश कौशिक कहते हैं कि लंदन में बहुत से भारतवासी रहते हैं जिसके कारण यहां रहना आसान है.
वह कहते हैं, यहां पर दक्षिण एशियाई खाना आराम से मिल जाता है. लंदन के बहुत सारे इलाक़े 'मिनी भारत' जैसे बन गए हैं. बहुत सारे लोगों के पहले से यहां पर ठिकाने हैं. बॉलीवुड के कई बड़े स्टार्स, उद्योगपतियों के यहां घर हैं. पहले से घर होने के कारण भी लंदन में भागकर आने में आसानी होती है."
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इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption मेहुल चौकसी ने एंटीगुआ एंड बारबुडा की नागरिकता ले ली है भगोड़ों को भारत वापस लाना कितना आसान
'द टेलिग्राफ़' की रिपोर्ट सामने आने के बाद कल दोपहर को प्रवर्तन निदेशालय ने ट्वीट कर बताया कि उसने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की अर्ज़ी ब्रिटेन को पिछले साल जुलाई में ही भेज दी थी.
प्रवर्तन निदेशालय ने ट्वीट में लिखा कि ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के केंद्रीय प्राधिकरण ने अर्ज़ी मिलने की पुष्टि भी की थी और आगे की कार्यवाही के लिए उसको वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट भेज दिया था.
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विजय माल्या के प्रत्यर्पण का मामला भी लंदन की कोर्ट में चल रहा है तो क्या इसी तरह से नीरव मोदी का मामला भी कोर्ट में चलेगा? और उनको ब्रिटेन से कैसे प्रत्यर्पित किया जा सकता है? ये तमाम सवाल उठ रहे हैं.
इस पर सलमान हैदर कहते हैं कि भारत से फ़रार होकर ब्रितानिया में पहुंचने वाले लोगों को न्याय का पूरा मौक़ा दिया जाता है.
वह कहते हैं, विजय माल्या के मामले की अदालती कार्यवाही को सालभर से अधिक होने वाला है. ब्रिटेन से लोगों को प्रत्यर्पित किया जा सकता है लेकिन इस प्रक्रिया को पूरी क़ानूनी कार्यवाही से होकर गुज़रना होता है."
सलमान हैदर का कहना है कि प्रत्यर्पण कार्यवाही के दौरान क़ानूनी दांव-पेंच का इस्तेमाल होता है और दोनों देशों के क़ानूनों की जानकारी होना लंदन में काम आती है.
अगर उदाहरण के तौर पर संगीतकार नदीम अख़्तर सैफ़ी के मामले को लें तो उसमें भी यही हुआ था. हिंदी सिनेमा के 90 के दशक की हिट संगीत जोड़ी नदीम-श्रवण के नदीम अख़्तर सैफ़ी गुलशन कुमार हत्याकांड के बाद देश छोड़कर लंदन भाग गए थे.
भारत सरकार ने उनके प्रत्यर्पण के लिए लंदन की कोर्ट में केस लड़ा लेकिन हत्याकांड मामले में उनके ख़िलाफ़ प्रथम दृष्टया मामला न होने के कारण उनके प्रत्यर्पण के मामले को रद्द कर दिया गया.
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हाल में कुछ ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं जब नीरव मोदी के वकील के ज़रिए कहा गया कि उन्हें भारत प्रत्यर्पित न किया जाए क्योंकि वहां उनकी जान को ख़तरा है, वहां राजनेता रैलियों में उनका नाम लेते हैं जिससे लोग आक्रोशित हैं.
इसी आधार पर नीरव मोदी द्वारा ब्रिटेन से राजनीतिक शरण मांगने की ख़बरें हैं लेकिन इस पर ब्रिटेन सरकार ने अब तक कुछ नहीं बोला है. उसका कहना है कि वह व्यक्तिगत मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करती है.
नरेश कौशिक का कहना है, नीरव मोदी द्वारा राजनीतिक शरण मांगने की रिपोर्ट्स हैं और राजनीतिक शरण मांगने के बाद उसके ख़ारिज होने तक पूरा क़ानूनी सिस्टम आपको सपोर्ट करता है. अगर उन्होंने राजनीतिक शरण न भी मांगी हो तो यहां अपील करके प्रत्यर्पण से बचा जा सकता है."
तो क्या क़ानूनी पेचीदगियों के कारण भारत नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे उद्योगपतियों को ब्रिटेन से वापस नहीं ला पाएगा?
इस सवाल पर नरेश कौशिक कहते हैं कि भारत इस समय मज़बूत स्थिति में है और विजय माल्या के मामले में उसे काफ़ी सफलता भी मिली है तो यह कहा जा सकता है कि प्रत्यर्पण में भारत को सफलता मिल सकती है.
वह कहते हैं, भारत इस समय काफ़ी महत्वपूर्ण शक्ति है जिसे ब्रिटेन समझता है. ब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन को भारत की ज़रूरत है वह भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना चाहता है तो इसलिए ब्रिटेन के हक़ में नहीं है कि वह इन लोगों को अपने यहां रहने दे. हालांकि, फिर भी ब्रिटेन के क़ानून का मज़बूत होना इन लोगों को लंदन में रोके रख सकता है."