एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesदावा: भारत सरकार ने वादा किया है हर गांव को तेज़ स्पीड वाली ब्रॉडबैंड कनेक्ट
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दावा: भारत सरकार ने वादा किया है हर गांव को तेज़ स्पीड वाली ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ दिया जाएगा.
संचार मंत्री मनोज सिन्हा के मुताबिक़, इस लक्ष्य को मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा.
फ़ैसला: मौजूदा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किए गए हैं, लेकिन लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत के एक अरब से ज़्यादा लोगों को इंटरनेट से जोड़ा जाए और उनके नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ग्रामीण इलाक़ों में सस्ती दर पर तेज़ गति वाली ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश शुरू की.
भारतनेट योजना के तहत देश के छह लाख से ज़्यादा गांवों को कम से कम 100 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया.
इसके ज़रिए ग्रामीण आबादी को वाई-फ़ाई और अन्य तरीक़े से इंटरनेट सुविधा मुहैया हो जाएगी.
इस योजना की शुरुआत साल 2014 में हुई थी. इसका उद्देश्य पहले पहल देश भर में ऑप्टिकल फ़ाइबर का नेटवर्क स्थापित करना था. यह नरेंद्र मोदी के डिज़िटल इंडिया कार्यक्रम की फ्लैगशिप योजना थी.
चार साल बाद यह योजना अपने लक्ष्य का पचास फ़ीसदी से कम हासिल कर सकी है.
महत्वाकांक्षी परियोजना
भारत इंटरनेट यूज़र्स के लिहाज़ से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, लेकिन आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज़ से इसकी पहुंच सीमित है.
भारतीय दूरसंचार नियामक के मुताबिक़ पिछले साल सितंबर तक भारत में 56 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे.
इनमें से ज़्यादातर ब्रॉडबैंड पर मौजूद कनेक्शन हैं जिन्हें यूज़र्स अपने मोबाइल फ़ोन और पोर्टेबल डिवाइस के ज़रिए इस्तेमाल करते हैं.
भारत में ब्रॉडबैंड उपभोक्ता
स्रोतः ट्राई
भारत में ब्रॉडबैंड उन कनेक्शन को कहते हैं जिसकी डाउनलोड की न्यूनतम स्पीड 512 केबी प्रति सेकेंड की हो. लेकिन ग्रामीण भारत में इंटरनेट को अपनाने की दर अभी बहुत कम है.
ग्रामीण भारत में प्रति सौ लोगों पर केवल 21.76 व्यक्ति के पास इंटरनेट कनेक्शन मौजूद है.
अब तक क्या कुछ किया गया है?
सरकार का लक्ष्य ढाई लाख ग्राम परिषदों को आपस में कनेक्ट करना था, जिसके तहत छह लाख से ज़्यादा गांव आते हैं.
तमाम देरी के बावजूद भी दिसंबर, 2017 तक इनमें एक लाख ग्राम परिषदों में ही केबल तार बिछाने और उपकरण लगाने का काम हो पाया.
इसको एक बड़ी कामयाबी ज़रूर माना गया लेकिन सरकार के विरोधी इसको लेकर आलोचना कर रहे हैं कि क्या वे केबल तारें काम कर रही हैं या नहीं?
वहीं बाक़ी बचे ग्राम परिषदों को केबल तार से जोड़ने में कुछ और साल लगेंगे, यानी मार्च 2019 का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा.
इस साल जनवरी महीने के अंत तक आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 1,23,489 ग्राम परिषदों में ऑप्टिकल फ़ाइबर बिछाने का काम पूरा हो गया है जबकि इनमें 1,16,876 ग्रामीण परिषदों में उपकरण लगाए जा चुके हैं.
इसके अलावा एक लाख ग्रामीण परिषद के इलाक़ों में वाई-फ़ाई हॉट्सपॉट लगाने की भी योजना थी, लेकिन जनवरी महीने के अंत तक इनमें केवल 12,500 ही काम करने की स्थिति में हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesपुरानी योजना, नया नाम
वैसे पूरे भारत को इंटरनेट से जोड़ने की योजना पिछली तमाम सरकारों का लक्ष्य रहा है, लेकिन इसकी राह में अवरोध बहुत थे.
भारतनेट का विचार सबसे पहले 2011 में कांग्रेस सरकार ने रखा था, लेकिन उस वक़्त इसका नाम नेशनल ऑप्टिकल फ़ाइबर नेटवर्क रखा गया था. लेकिन पायलट फ़ेज़ में इसे बहुत समर्थन नहीं मिल पाया.
एक संसदीय समिति के मुताबिक 2011 से 2014 तक यह योजना प्लानिंग और डिज़ाइन दोनों रूप में संकट का सामना करती रही.
जब 2014 में बीजेपी सत्ता में आई तो उसने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया और देशभर को ब्रॉडबैंड से कनेक्ट करने पर ज़ोर दिया.
बीते साल जनवरी में सरकार ने भरोसा जताया था कि मार्च, 2019 की डेडलाइन तक वह लक्ष्य को पूरा कर लेगी.
डेडलाइन तक तस्वीर
इस दिशा में 2016 और 2017 में तो काफ़ी प्रगति हुई लेकिन इसके बाद रफ़्तार धीमी हो गई.
भारतनेट को लागू करने वाली एजेंसी ने जनवरी, 2019 में दावा किया कि 1,16,411 ग्रामीण परिषद सेवा के लिए तैयार हैं, यानी इन इलाक़ों में रेडी-टू यूज इंटरनेट कनेक्टिविटी मौजूद है.