एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटANADOLU AGENCYयूरोपीय संघ और भारत ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए अपने हवाई क्षेत्र में ब
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यूरोपीय संघ और भारत ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए अपने हवाई क्षेत्र में बोइंग 737 मैक्स विमान की उड़ानों पर रोक लगा दी है.
इथियोपियन एयरलाइन्स के विमान के हादसे का शिकार होने के बाद यूके और अन्य कई देशों ने 'बोइंग 737 मैक्स' को प्रतिबंधित कर दिया था.
रविवार को हुए इस हादसे में 157 लोगों की जान गई थी. यह पांच महीने के अंदर '737 मैक्स 8' मॉडल से जुड़ा दूसरा विमान हादसा था.
इससे इतर अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि यह विमान सुरक्षित है.
हालांकि, यूएस एसोसिएशन ऑफ़ अटेंडेंट्स- CWA यूनियन ने संघीय उड्डयन प्रशासन से अपील की है कि सावधानी बरतते हुए अमरीका में 737 मैक्स विमानों की उड़ानों को अस्थायी रूप से रोक दिया जाए.
इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGESक्यों उठाए जा रहे ये क़दम
भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बोइंग 737 मैक्स विमानों की उड़ानों पर तुरंत रोक लगाने का एलान किया है.
डीजीसीए ने बोइंग 737 मैक्स विमानों को यह कहते हुए तुरंत प्रतिबंधित करने का फ़ैसला किया है कि जब तक कि सुरक्षित उड़ानों के लिए उचित क़दम नहीं उठाए जाते और ज़रूरी सुधार नहीं किए जाते, तब तक विमानों को उड़ाया नहीं जाएगा.
ईयू एविएशन सेफ़्टी एजेंसी ने भी इसी तरह का फ़ैसला लिया है और कहा है कि उसने सावधानी बरतते हुए विमान पर रोक लगाई है.
दरअसल बीते रविवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से केन्या की राजधानी नैरोबी के लिए उड़ान भर रहा बोइंग 737 मैक्स विमान दुर्घटना का शिकार हो गया था.
उड़ने के कुछ देर बाद ही विमान क्रैश हो गया और हादसे में सभी 157 लोगों की जान चली गई. पिछले पाँच महीने में बोइंग के इस नए विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की ये दूसरी घटना थी.
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पिछले साल अक्टूबर में लायन एयरलाइंस का बोइंग मैक्स विमान भी जकार्ता से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद हादसे का शिकार हो गया था और 189 लोगों की जान चली गई थी.
लायन एयरलाइंस ने इस विमान को हादसे से तीन महीने पहले ही अपने बेड़े में शामिल किया था.
बोइंग 737 मैक्स-8 का कॉमर्शियल इस्तेमाल 2017 में ही शुरू हुआ था और सुरक्षा को लेकर कंपनी ने बड़े-बड़े दावे भी किए थे.
इस मॉडल का इस्तेमाल भारत की दो विमानन कंपनियां करती हैं- स्पाइसजेट और जेट एयरवेज.
स्पाइसजेट 737 मैक्स 8 का इस्तेमाल करती है और उसका अनुमान है कि इससे हर साल ईंधन खर्च में 15 लाख डॉलर की बचत होती है.
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