एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटdeborah husoकोसोवो की राजधानी प्रिस्टीना को अक्सर यूरोपीय देशों की सभी राजधानियों में सब
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कोसोवो की राजधानी प्रिस्टीना को अक्सर यूरोपीय देशों की सभी राजधानियों में सबसे बदसूरत कहा जाता है. यह निश्चित रूप से एक ऐसी जगह है जहां की यात्रा के बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था.
इस जगह की याद आते ही 1990 के दशक के आखिरी दिनों में हुए उस दर्दनाक युद्ध की याद मेरे दिमाग में ताजा हो जाती है जिसमें लगभग 750,000 सजातीय अल्बानियाई लोगों को विस्थापित होना पड़ा था. कई वर्षों तक कोसोवो के अल्बानियाई बहुमत ने स्थानीय सर्ब लोगों से लोहा ले रखा था जो आबादी का केवल दस प्रतिशत थे, लेकिन कोसोवो को अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते थे.
कोसोवोवासियों ने फरवरी 2008 में सर्बिया से अपनी आजादी की घोषणा कर दी. 10 वर्ष बाद मैं इस शहर में था. यहां एक ओर देखने पर सदियों पुरानी मस्जिदों से ऊपर बढ़ती मीनारें और स्थानीय तथा विदेशी नायकों की मूर्तियां खड़ी दिखाई देंगी. वहीं, दूसरी ओर ग्रैंड होटल जैसे राजकीय स्मारक चिह्न दिखाई देते हैं जिनकी खिड़कियां तक टूट गई हैं.
कोसोवो के राष्ट्रपति हाशिम ताकी ने द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक संवाददाता से कभी कहा था, “मुझे नहीं लगता ये दुनिया का सबसे खराब होटल है, लेकिन ऐसा शायद इसलिए लगता होगा क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है.”
इन सबके बावजूद गर्मियों की एक शाम मैं यहां की सड़कों पर भटकता हुआ सेंट मदर टेरेसा कैथेड्रल के पास बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश पथ से गुजरता हुआ आगे बढ़ रहा था. अल्बानिया में आल्प्स पर्वत में 10 दिन तक की हाइकिंग यानी पर्वतारोहण के बाद में अब प्रिस्टीना से होकर वापस जा रहा था. यहां मुझे दो दिन की छोटी अवधि के लिए रुकना था.
कम्युनिस्ट शासनकाल की उसी शैली की इमारतों और धूल भरी सड़कों से गुजरने के बाद यह लगभग स्पष्ट हो गया था कि प्रिस्टीना का नाम खराब क्यों है. लोलनी प्लैनेट ने इसे दर्शनीय स्थलों की सूची में काफी नीचा स्थान दिया था जबकि द बोस्टन ग्लोब ने इसे यूरोप के सबसे बद्सूरत शहर और राजधानी का खिताब दिया था.
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इमेज कॉपीरइटdeborah husoराजनीतिक उठापटक और खूनी संघर्ष
लेकिन, यदि ये देखा जाए कि यह शहर अभी हाल ही में राजनीतिक उठापटक तथा खूनी संघर्षों के दौर से गुजरा है तो पेरिस और रोम से इसकी तुलना उचित नहीं होगी. पिछली एक सदी में ही कोसोवो पर ओटोमन साम्राज्य के अतिरिक्त सर्बिया, यूगोस्लाविया, इटली और फिर सर्बिया ने शासन किया था.
आज इस शहर में यूरोप की सबसे पुरानी मस्जिदें हैं, लेकिन प्रिस्टीना में मौजूद ओटोमन साम्राज्यकालीन स्थापत्य का स्थान यूगोस्लावियाई जमाने में बनीं कम्युनिस्ट इमारतों ने ले लिया है.
दरअसल, मैं यहां नेशनल लाइब्रेरी ऑफ कोसोवो नामक उस इमारत को देखने आया था जिसे वर्चुअल टूरिस्ट ने दुनिया की एक सबसे बद्सूरत इमारत कहा था. 1982 में खुली कम्युनिस्ट काल की यह नेशनल लाइब्रेरी प्रिस्टीना में बनी सबसे प्रमुख स्थापत्य कला का नमूना है. देखने में किले जैसी यह इमारत बाहर से धातुनुमा लगती है और जेल होने का भान देती है.
लेकिन, शीशे के दरवाजों को धकेलकर जब मैं धातुई मुखौटे वाली इमारत के अन्दर गया तो 99 गुम्बदों और बड़ी-बड़ी खिड़कियों से ढंकी इस इमारत की सुंदरता मुझे समझ आई. अनोखा बाहरी रूप और प्राकृतिक प्रकाश से जगमगाता चितकबरा संगमरमरी फर्श कहीं ये संकेत दे रहा था कि प्रिस्टीना पर कभी तुर्की और इस्लामी स्थापत्य कला का राज था.
लेकिन इस इमारत से कुछ ही दूरी पर हाल में बना श्वेत शिखरदार सेंट मदर टेरेसा कैथेड्रल है जो 2017 में तैयार किया गया. पोल जॉन पॉल द्वितीय ने अल्बानिया मूल की मदर टेरेसा को 2003 में संत की उपाधि से नवाजा था. उनके नाम पर बने इस कैथेड्रल की ऊंचाई 76 मीटर है, लेकिन इस इमारत का यहां होना अपने आप में विडम्बना ही है- पहले तो इसलिए कि वैटिकन सिटी कोसोवो को देश नहीं मानता और दूसरा इसलिए कि कोसोवो की आबादी के 90 प्रतिशत मुसलमान हैं.
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इमेज कॉपीरइटdeborah husoImage caption नेशनल लाइब्रेरी ऑफ कोसोवो देश के रूप में मान्यता नहीं
14वीं सदी में कोसोवो पर ओटोमन साम्राज्य का कब्जा होने से पहले अल्बानिया की अधिकतर आबादी इसाई थी. तुर्क साम्राज्य के अधीन ज्यादातर अल्बानियाई लोगों ने इसाईयों पर लगने वाले कर से बचने के लिए इस्लाम कबूल कर लिया. शहर में मेरे गाइड बेकिम झेमिली जो कि एथनोलॉजिकल म्यूजियम ऑफ कोसोवो के क्यूरेटर यानी संग्रहालय अध्यक्ष और एक मानव जाति विज्ञानी हैं, मुझे बताते हैं कि आज कोसोवोवासियों में केवल तीन प्रतिशत कैथोलिक हैं.
झेमेली के अनुसार कैथेड्रल के निर्माण में मुसलमानों और इसाईयों दोनों ने दान दिया है.
लेकिन, कोसोवो की शांति और स्वतंत्रता का मार्ग उन्हें समृद्धि की ओर नहीं ले गया. आज संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में केवल 114 देशों ने ही कोसोवो को एक देश के रूप में मान्यता दी है.
झेमेली कहते हैं कि यहां की अर्थव्यवस्था पश्चिमी यूरोप में काम करने वाले अल्बानियाई निवासियों द्वारा भेजी जाने वाली राशि पर चलती है. ऐसा न होने पर अर्थव्यवस्था ढह जाएगी. कोसोवो सेंट्रल बैंक के अनुसार 2015 में देश से बाहर काम करने वाले कोसोवो के नागरिकों ने 75 करोड़ 20 लाख यूरो की राशि कोसोवो भेजी थी. लेकिन, 2018 के शुरू में कोसोवो में बेरोजगारी की दर लगभग 27 प्रतिशत थी और 15 से 64 वर्ष की आयु के कोसोवोवासियों की कामकाज मे भागीदारी केवल 39 प्रतिशत थी.
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इमेज कॉपीरइटGreg balfour evans/alamyImage caption सेंट मदर टेरेसा कैथेड्रल
फिर भी प्रिस्टीना की सड़कों, विशेषकर उसके मुख्य पैदल मार्ग बोलवार्दी नेने तेरेज़ा पर चहलकदमी करते हुए इन बातों का अन्दाजा नहीं होता. कैफे की लाइनों से सजा यह मार्ग द्वितीय विश्व युद्ध में यूगोस्लाविया की मुक्ति के लिए किये गये संग्राम की याद में खड़ी कांस्य मूर्तियों से भी भरा पड़ा है, जिन पर अमरीकी और ब्रिटिश झंडे बनाए गए हैं. इस मार्ग पर दिनभर गहमागहमी रहती है.
दरअसल, प्रिस्टीना की एक बहुत खूबसूरत बात मुझे उसका कैफे कल्चर लगा/कैफे संस्कृति लगी. थोड़ी दूर जाने पर लगभग आधे दर्ज़न कैफे दिखने लगे. गैस्ट्रोनॉमिक सोसाइटी ऑफ प्रिस्टीना के अनुसार दो लाख की आबादी वाले शहर में सौ से अधिक कैफे हैं. प्रिस्टीना की तरह इन कैफे में भी बल्कान, यूरोपीय और मध्य पूर्व की झलक मिलती है.
कॉफी के अलावा इन कैफे को यहां के लोग विशेष बनाते हैं. यह यहां की अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है क्योंकि यहां अधिकतर लोग कॉफी पीते हैं. यहां समाज के हर वर्ग के लोग जमा होते हैं. कहा यह जाता है कि कोसोवो की आजादी के आन्दोलन की भूमिका भी ऐसे ही किसी कैफे में रची गई थी.
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महिलाओं पर अत्याचार की निशानी,हैरोइनैत मेमोरियल
भीड़भाड़ वाले बोलवार्दी नेने तेरेज़ा से पांच मिनट की पैदल दूरी पर मुझे न्यूबॉर्न मोन्यूमेंट/स्मारक मिला. यह सर्बिया से कोसोवा की आजादी के 11 साल पूर्ण होने पर बनाया गया था. प्रतिवर्ष अपने स्वतंत्रता दिवस यानी 17 फरवरी को कोसोवो के नागरिक इसे एक नया रूप देते हैं. कभी-कभी इसके विशालकाय अक्षरों को रंग-बिरंगी लिखावटों से सजाया जाता है तो कभी उन अक्षरों पर नागरिकों के हस्ताक्षर कर दिये जाते हैं.
कोसोवो म्यूज़ियम/संग्रहालय के एक दस्तावेज़ के अनुसार यह वार्षिक बदलाव कोसोवो की उस खोज का हिस्सा है जिसमें अपनी पहचान पाने और प्रगति करने को दर्शाया गया है.
न्यूबॉर्न से सड़क पार करने पर मुझे 2015 में सार्वजनिक किए गए हैरोइनैत मेमोरियल दिखा. 1998-99 में कोसोवो युद्ध के दौरान बलात्कार का शिकार हुई 20 हजार महिलाओं की यही निशानी है. इस युद्ध में दोनों ही पक्षों ने महिलाओं पर खूब जुर्म ढाये.
इमेज कॉपीरइटchristian kober 1/alamyImage caption प्रस्टीना में पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिटंन की मूर्ति
प्रिस्टीना आने से पहले मैं कोसोवो के सजातीय अल्बानियाई लोगों के घरों में रुका था, जहां मैं अक्सर वृद्ध महिलाओं के साथ कॉफी की चुस्की लेता था. उसी दौरान उन्होंने सर्बियाई सैनिकों द्वारा उनकी सहेलियों, बहनों और बेटियों पर किए गए जुर्म की दुखद कहानियां सुनाई. इधर, कोसोवो लिबरेशन आर्मी ने भी कुछ ऐसा ही जुर्म ढाया था.
शायद यह न्यायोचित ही है कि कोसोवो के इतिहास के अंधकारमय पन्ने से आगे पुस्तक पलटने पर एक ऐसा स्थान आता है जिसे अमरीका की पूर्व विदेशमंत्री मैडलीन अलब्राइट के नाम पर रखा गया है. दरअसल, वर्ष 2019 में भी कोसोवो के कई नागरिकों को अमरीकी राष्ट्रपतियों जैसे कि क्लिंटन, बुश या अन्य राजनेताओं से कुछ लगाव सा है क्योंकि उन्हें लगता है कि ये लोग ही कोसोवो की आजादी के मूल में हैं.
कोसोवोवासी अमरीका के नेतृत्व में 1999 में नाटो द्वारा की गई उस बमबारी को भी याद करते हैं जिससे उन्हें सर्बिया के नियंत्रण से मुक्ति मिली थी और दोनों ही पक्षों के अत्याचारों पर विराम लगा था. झेमेली कहते हैं, “हमें अमरीका से प्यार है; हमें बिल क्लिंटन से भी प्यार है. अमरीकी हमारे हीरो हैं.”
प्रिस्टीना की तरह ही शायद ये लगाव हर जगह खूबसूरत नहीं दिखता. प्रस्टीना के मेयर श्पेंड अहमती ने ओसरवेतोरियो बलकानी कॉकेसो ट्रांसयूरोपा को पिछले वर्ष दिए एक साक्षात्कार में कहा था, “शायद पूरी दुनिया में बिल क्लिटंन की सबसे बदसूरत मूर्ति यहीं है. उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने इसका अनावरण किया था लेकिन उनके चेहरे से लग रहा था जैसे कह रही हों कि 'ये मेरे पति तो नहीं दिखते'.”
निश्चित तौर पर प्रिस्टीना शहर पेरिस या रोम से मेल नहीं खाता, लेकिन मैंने पाया कि यदि आप इसका अतीत याद रखें और स्वयं को इसके वर्तमान में डुबो दें तो आपको जुझारू लोग दिखेंगे और एक ऐसी युवा राजधानी मिलेगी जो अपना अगला अध्याय रचने को बेताब है और यह बात निश्चित रूप से खूबसूरत है.