एब्स्ट्रैक्ट:Image caption मारपीट का शिकार हुए दिलशाद के सिर में दो टांके लगे हैं और दाएं हाथ में फ़्रैक्चर हुआ ह
Image caption मारपीट का शिकार हुए दिलशाद के सिर में दो टांके लगे हैं और दाएं हाथ में फ़्रैक्चर हुआ है. उनके शरीर में कई गहरे जख़्मों के निशान हैं.
''मैं ये घर छोड़ कर चला जाऊंगा. मैं अपने गांव चला जाऊंगा. मेरे सामने मेरे छोटे-छोटे बच्चों को मारा और मैं उनको पिटता हुआ देखता रहा. मैं कुछ नहीं कर सका, मैं यहां नहीं रहना चाहता. इस मकान के लिए मैंने लोगों से कर्ज़ लिया है लेकिन मैं अब डर के साथ सारी उम्र नहीं जीना चाहता.''
ये कहते हुए चारपाई पर लेटे मोहम्मद साजिद फूट पड़ते हैं. सिरहाने बैठा एक शख़्स उनके आंसू पोंछता है. साजिद के बाएं हाथ पर प्लास्टर चढ़ा है और पैरों पर गहरी चोट है. उनके साथ ऐसा क्यों हुआ, उनकी क्या ग़लती है, ये उन्हें भी नहीं पता.
21 मार्च को देश होली का त्योहार मना रहा था. होली को भाईचारे और आपसी प्रेम का त्योहार मना जाता है, लेकिन जिस वक़्त लोग अबीर और गुलाल लगा कर एकदूजे से गले मिल रहे थे ठीक उसी वक़्त गुरुग्राम के भूपसिंह नगर के रहने वाले मोहम्मद साजिद के परिवार ने समाज का ऐसा भयानक चेहरा देखा जिससे वो अब तक ख़ौफ़ में है.
हालांकि पुलिस इस मामले को सांप्रदियक नहीं मान रही है.
Image caption मोहम्मद साजिद के घर दाएं हाथ में फ़्रैक्चर है सहित कई गहरी चोटें आई है. उनका कहना है कि वो अब इस घर में नहीं रहना चाहते हैं.
इस मारपीट के शिकार और मोहम्मद साजिद के भतीजे दिलशाद के मुताबिक़ गुरुवार को शाम पांच से साढ़े पांच बजे के बीच नया गांव से 25-30 लोग लाठी-डंडों और भालों के साथ उनके घर में दाख़िल हुए और घर में मौजूद साजिद, दिलशाद, समीर, शादाब सहित 12 लोगों को पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया. साजिद के बेटे शादाब का इस वक़्त सफ़दरजंग अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा है.
गुरुग्राम के भौंडसी थाने के भूपसिंह नगर इलाक़े में साजिद और उनके परिवार हुए हमले का वीडियो बहुत मुमकिन है आपने अब तक सोशल मीडिया पर देख लिया होगा.
इस वीडियो में कुछ लोग मोहम्मद साजिद को डंडों से पीटते नज़र आ रहे हैं. इसमें एक महिला भी है जो साजिद को बचाने की कोशिश में जुटी है और लोग उसे भी मार रहे हैं. कुछ बच्चें छत का दरवाज़ा बंद करके ख़ुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और एक लड़की की चीखें सुनाई दे रहीं हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: बागपत में 12 मुसलमानों के हिन्दू बनने का सच क्या
Image caption घर का टूटा हुआ कांच
21 साल की दानिस्ता ने जब ये वीडियो बनाया तो उन्हें नहीं पता था ये वीडियो वो शेयर कर भी पाएंगी या नहीं. दानिस्ता अपने चाचा के घर होली मनाने आई थीं. जिस वक़्त भीड़ घर में दाख़िल हुई उस वक़्त वो खाना बना रही थीं और उनके हाथ में उनके भाई इरशाद का मोबाइल फ़ोन था.
दानिस्ता कहती हैं, ''जब वो लोग मार पीट कर रहे थे तो मेरे हाथ में फ़ोन था, मुझे लगा कि वीडियो बनाना चाहिए. हम भाई बहन ऊपर वाली छत (दूसरी मंजिल) पर भागे और मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग करना शुरू किया. जैसे ही उन लोगों को पता चला कि वीडियो बन रहा है वो लोग चिल्लाए इस लड़की को फ़ोन के साथ ही फ़ेक दो. मैं डर गई थी मुझे बस ये फ़ोन बचाना था. मैंने पास में पड़ी ईंटों के बीच में ये फ़ोन छुपाया और सोचा कि मुझे मार भी देंगे तो भी ये वीडियो हमारा सबूत होगा. लेकिन वो लोग दरवाज़ा तोड़ नहीं सके.''
Image caption 21 साल की दानिस्ता अपने चाचा के घर होली मनाने आई थीं. इस घटना का वीडियो उन्होंने ही बनाया.
15 साल पहले मोहम्मद साजिद अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के बाग़पत जिले से रोज़गार की तलाश में गुरुग्राम आए. यहां घसोला गांव में उनकी गैस रिपेयरिंग की दुकान है. गांव को छोड़कर वो बेहतर भविष्य के लिए शहर आए थे लेकिन उन्हें इसका अंदाज़ा कभी नहीं रहा होगा कि ये शहर उनके भीतर धंस चुके इस डर का कारण बनेगा.
'यहां क्यों खेल रहा है पाकिस्तान जा कर खेल'
गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर मोहम्मद अक़ील ने बीबीसी हिंदी को बताया कि ''ये पूरा विवाद क्रिकेट को लेकर शुरू हुआ. खेल को लेकर शुरू हुआ ये विवाद बढ़ गया और मारपीट तक पहुंच गया. दोनों ही पक्षों ने मारपीट की. हां एक पक्ष ने ज़्यादा मारपीट की है और हमने अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है और एक शख़्स की गिरफ़्तारी की गई है.''
मामले की जांच चल रही है. आगे और भी गिरफ़्तारियां संभव हैं.
गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ सुभाष बोकेन ने बताया कि दिलशाद नाम के शख्स ने इस मामले में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है. सबूत और वीडियो के आधार पर महेश नाम के एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है.
ये मामाला आईपीसी की धारा 147 (दंगा भड़काना), 148 ( ग़ैरकानूनी सभाएं), 452 (अतिक्रमण), 506 ( धमकाना) और 307 ( हत्या की कोशिश) के तहत दर्ज किया गया है.
गुरुग्राम के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव का कहना है कि ''ये दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन मैं नहीं मानता कि ये सांप्रदायिक मामला है. दो गुटों की आपसी मुठभेड़ है जिसे सांप्रदायिक कहना ग़लत होगा.''
पुलिस के मुताबिक़ क्रिकेट खेल के दौरान दो गुटों में कहासुनी हुई और ये मामला मारपीट तक जा पहुंचा. मारपीट दोनों ही पक्षों ने की है लेकिन एक पक्ष ने घर में घुस कर मारपीट की. जिन पर कार्रवाई की जा रही है.
लेकिन पुलिस के ब्यौरे से पीड़ित परिवार की कहानी मेल नहीं खाती.
मारपीट के शिकार दिलशाद का कहना है, ''घर में कुल 17 लोग थे. हम सभी घर के बाहर क्रिकेट खेल रहे थे. इतने में बाइक पर सवार दो लोग आए और बोलने लगे मुल्ले यहां क्यों खेल रहा है पाकिस्तान जा कर खेलो. हमने बल्ला और बॉल उन्हें दे दी. इतने में साजिद चाचा आ गए और पूछा क्या हुआ ये सुनते ही एक बाइक सवार ने उन्हें थप्पड़ मार दिया. उसने पूछा तू है कौन, घर कहां है तेरा?''
''उन्होंने बताया कि हम यहीं रहते हैं. इसके बाद हम अपने घर चले गए. थोड़ी ही देर बाद दो बाइक पर बैठकर छह युवक आए. उनमें से एक ने चाचा की ओर इशारा करते हुए कहा ये है और उसके इतना कहते ही लोगों ने हमें मारना शुरू कर दिया. उन लोगों के पीछे कई लोग थे, उनके पास लाठी-भालों के अलावा पत्थर थे. उन लोगों ने घर पर पत्थरबाज़ी शुरू कर दी.''
Image caption घटना के बाद मोहम्मद साजिद का घर
वायरल वीडियो में नज़र आने वाले और मुख्य पीड़ित मोहम्मद साजिद का कहना है कि ''वो लोग लोहे के दरवाजे पर ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते रहे. जब दरवाज़ा नहीं खुला तो उन लोगों ने खिड़की का ग्रिल तोड़ दिया और छत पर आ गए. इन लोगों ने मेरे ऊपर इतने डंडे बरसाए कि मैं याद करके भी डर जाता हूं. हम मुसलान हैं और भारत के रहने वाले हैं पाकिस्तान से हमारा आख़िर क्या रिश्ता है.
मुझे एक फ़ोन आया और दबाव बना रहे हैं कि केस वापस ले लो, आपस में सुलझा लो. मैं फ़ैसला नहीं करूंगा. मेरी मदद प्रशासन ने नहीं की तो मैं अपने बच्चों के साथ ख़ुदकुशी कर लूंगा. मैं ये जगह छोड़ कर चला जाऊंगा.''
साजिद अपनी बात कहते-कहते कांपने लगते हैं. बगल के कमरे से निकल कर एक लड़की उन्हें पानी देती है और वो शांत पड़ जाते हैं. बात करते हुए मेरी नज़र फ़र्श पर पड़ी जहां कांच के टुकड़े बिखरे हुए हैं. गुरुवार की शाम ने इस घर के शीशों को ही नहीं तोड़ा बल्कि इस परिवार के हर शख़्स को तोड़कर रख दिया है.
Image caption घर का टूटा हुआ कांच
ऊपर सीढ़ियों पर जब हम बढ़े तो यहां एक बच्ची खेलती हुई मिली. इस बच्ची के चेहरे पर गहरी चोट थी जिसका ख़ून अभी पूरी तरह सूख नहीं पाया था. बच्ची से पूछा कि ये चोट कैसी है तो उसने कहा होली वाले अंकल आए थे सबको मारा, मुझे भी मार दिया. क्या फिर आएंगे वो अंकल लोग?
पांच साल की अफ़ीफ़ा भी अपने नाना के घर आई थीं. वो कहती है, ''अंकल लोग ऊपर आ गए फिर जंगला तोड़ा और यहां आ गए, यहां आकर नाना को मारा. ये खून लगा हुआ है वो नाना का ही है. मैं वहां छुप गई थी. अंकल ने मुझे और मेरी मुन्नी को निकाल कर मारा. मेरा गेट भी तोड़ दिया अंकल ने.''
Image caption इस मारपीट का शिकार हुई पांच साल की अफ़ीफा अपने नाना के घर होली का त्योहार मनाने आई थी.
'गांव में बदमाश मुसलमान को नहीं रहने देंगे'
इस मामले में एक शख़्स की गिरफ़्तारी हुई है जिसका नाम महेश है. महेश पास के ही नया गांव का रहने वाला है. जब हम नया गांव में महेश के घर पहुंचे तो वहां उसकी 17 साल की बहन शीतल के अलावा कोई नहीं था. शीतल ने हमसे बात करने से साफ़ इनकार कर दिया.
इसके बाद हमने आसपास के स्थानीय लोगों से बात करनी चाही तो पहले तो उन्होंने मना कर दिया फिर नाम ना बताने की शर्त पर बात करने को राज़ी हुए.
एक स्थानीय युवक ने कहा, ''ई कुछ ना होया जी ये गुंडे बदमाश हैं. घणो चाय पानी चल रहो है और हमारे बालक ने फंसा दियो. आज तक मुसलमान रहवे हैं लेकिन कोई विवाद ना होया जी. ये बदमाश घुस गए हैं. चूल्हा ना जलो घर में, सबके बालक भाग रहे हैं छुप रहे हैं. दो दिन बाद पंचायत लगेगी गांव का बच्चा बच्चा बोलेगा हम इस गांव में बदमाश मुसलमान को नहीं रहने देंगे. ये अपने घरों में हथियार राखे हैं. अगर इस गांव में रहना है तो पंचायत में हमसे माफ़ी मांगनी पड़ेगी, जो माफ़ी ना मांगी को गांव बहिष्कार करेगो और इनका हुक्का-पाणी बंद होगो.''
Image caption नया गांव के स्थानीय लोग
एक अन्य स्थानीय शख़्स ने बताया, ''साजिद का परिवार क्रिकेट खेल रहा था और दो लड़कों की गाड़ी से उन्हें मामूली चोट लग गई. इस पर उन लोगों ने उन्हें पीटा. ये लड़ाई देख कर हमारे समाज के एक बुज़ुर्ग बीच बचाव के लिए गए तो उन्हें मुसलमानों ने बैट से मारा. इसके बाद गांव के बच्चे ग़ुस्से में उसके घर पहुंचे.''
नया गांव गुर्जर बहुल क्षेत्र हैं. इस गांव के लोगों का कहना है कि ये एक मामूली लड़ाई है जिसमें बच्चे शामिल थे लेकिन इसे हिंदू-मुसलमान करके सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है.
विडंबना ये है कि जब नया गांव के लोग पीड़ित परिवार पर मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगा रहे थे ठीक उसी वक़्त एक स्थानी बुज़ुर्ग लखन सिंह ने कहा, ''इस मुल्क में हिंदू गद्दार हैं और मुसलमान सही हैं. हिंदुओं की आवाज़ देश में दबाई जा रही है और मुसलमान जो कहें वो सच है.''
ये शब्द सुनकर ये समझ पाना मुश्किल था कि इस विवाद पर धर्म का रंग कौन चढ़ाना चाह रहा है.
इस मामले में पीड़ित परिवार, पुलिस और हमलावरों का अपना पक्ष है. लेकिन जो वीडियो वायरल हुआ है उसने भीड़ के हमले के सवाल को फिर से उठाया है और पूछा जा रह है कि भारत में इस तरह के हमले कब रुकेंगे.
साजिद के दो मंजिला घर के शीशे पूरी तरह टूट चुके हैं. पहली मंजिल पर दो कमरे और छोटा सा बरामदा है. इस पूरे बरामदे में कांच और सीमेंट के टुकड़े बिखरे हैं. महिलाएं एक कमरे में बैठी हैं जो मीडिया के तमाम कैमरों से एक ही बात कर करके मानो थक चुकी हैं.
मैं गाड़ी की ओर बढ़ी तो पांच साल की अफ़ीफ़ा ने पूछा दीदी अब कब आएँगी? मैंने मन ही मन सोचा कि भगवान ना करें कि तुम्हारे साथ कुछ ऐसा हो कि हम मीडिया वालों को आना पड़े.
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