एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटRAVI PRAKASHभारतीय जनता पार्टी ने आठ बार लोकसभा चुनाव जीत चुके 83 साल के नेता कड़िया मुं
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भारतीय जनता पार्टी ने आठ बार लोकसभा चुनाव जीत चुके 83 साल के नेता कड़िया मुंडा का टिकट काट दिया है.
मुंडा झारखंड की खूंटी संसदीय सीट से लोकसभा के सदस्य हैं. लेकिन इस चुनाव में उनकी जगह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को टिकट दिया है.
साल 1977 में पहली बार चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने कड़िया मुंडा को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था.
इसके बाद के सालों में वे दो और बार केंद्रीय मंत्री रहे. साल 2009 से 2014 तक वो लोकसभा के उपाध्यक्ष भी रहे.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस साल उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी नवाज़ा है. लेकिन इस साल वे संसदीय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की ओर से शनिवार शाम जारी प्रत्याशियों की सूची में उनका नाम नहीं है.
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आजसू पार्टी के साथ हुए गठबंधन के बाद झारखंड की कुल चौदह लोकसभा सीटों में से तेरह पर भाजपा चुनाव लड़ेगी.
इनमें से दस सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है. भाजपा ने कड़िया मुंडा को छोड़कर बाकी के सभी वर्तमान सासंदों को टिकट दिया है.
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नए चेहरों पर दांव
चतरा, रांची और कोडरमा के लिए उम्मीदवारों की घोषणा अभी नहीं की गई है.
चर्चा है कि पार्टी इन तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका देना चाह रही है. इसको लेकर एक राय नहीं है. इस कारण इसकी घोषणा फिलहाल टाल दी गई है.
भाजपा के झारखंड प्रमुख लक्ष्मण गिलुवा ने कहा है कि यह घोषणा 25-26 मार्च तक कर दी जाएगी. वो खुद भी सिंहभूम (चाईबासा) के सांसद हैं और पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है.
इमेज कॉपीरइटRavi Prakashक्यों कटा कड़िया मुंडा का टिकट
लक्ष्मण गिलुवा ने बीबीसी से कहा, “पार्टी ने फ़ैसला किया था कि 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को इस बार चुनाव नहीं लड़वाना है. इस नीतिगत कारण से कड़िया मुंडा की जगह पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को खूंटी से टिकट दिया गया है.”
“हम दरअसल झारखंड की सभी लोकसभा सीटें जीतना चाहते हैं. इसलिए वैसे लोगों को टिकट दिया गया है, जो हर हाल में सीट ला सकें. कड़िया मुंडा जी ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से खुद ही कहा था कि वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. इस कारण उन्हें आराम दिया गया है.”
वहीं कड़िया मुंडा कहते हैं कि टिकट को लेकर पार्टी ने उनसे राय ली थी.
कड़िया मुंडा ने बीबीसी से कहा, “पार्टी ने मुझसे राय ली थी. अब जो पार्टी का नेतृत्व है, वह मुझे स्वीकार है. केवल हम ही नहीं, जिनका टिकट कटा. ऐसे बहुत लोग हैं.”
भाजपा ने धनबाद के मौजूदा सांसद 70 साल के पशुपति नाथ सिंह को टिकट दिया है.
इसके अलावा 67 साल के विष्णु दयाल राम (पलामू) और 66 साल के हेमलाल मुर्मू (राजमहल) का नाम भी प्रत्याशियों की सूची में है.
पार्टी अगर 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को टिकट नहीं देने के फार्मूले पर कायम रही, तो रांची के मौजूदा सांसद रामटहल चौधरी का टिकट भी कट जाएगा. वे 77 साल के हैं.
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जोखिम नहींले रहीबीजेपी
'प्रभात खबर' अखबार में झारखंड के संपादक अनुज कुमार सिन्हा का मानना है भाजपा अब कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है. इस कारण उसने सभी मौजूदा सासंदों को टिकट दे दिया है.
अनुज कुमार सिन्हा ने बीबीसी से कहा, “कड़िया मुंडा का टिकट काटने की हिम्मत भाजपा इसलिए कर सकी, क्योंकि वे पार्टी का विरोध नहीं करेंगे. रांची को लेकर विवाद कायम है, क्योंकि यहां के मौजूदा सासंद रामटहल चौघरी जल्दी हार मानने वालों में से नही हैं.”
उन्होंने यह भी कहा, “भाजपा के लिए जातीय समीकरण को साधना बड़ी चुनौती है. इस कारण भी कोडरमा, रांची और चतरा की सीटें फंसी हुई हैं. पार्टी ने अगर रांची से रामटहल चौधरी को फिर से उतारा तो वे महतो (कुरमी) जाति के तीसरे उम्मीदवार हो जाएंगे.”
“जमशेदपुर से विद्युत वरण महतो को टिकट दिया जा चुका है. गिरिडीह आजसू के खाते में गई है. वहां से चंद्रप्रकाश चौधरी के लड़ने की उम्मीद है, वे भी महतो हैं. इसलिए भाजपा चतरा से पिछड़ी जाति के किसी उम्मीदवार को लड़ाना चाहेगी. वहां कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी है.”
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भाजपा को घाटा होगा?
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय मानते हैं कि कड़िया मुंडा का टिकट काटकर भाजपा ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है. अर्जुन मुंडा भले ही कद्दावर नेता हैं लेकिन खूंटी में उनका जीत पाना कठिन होगा. पार्टी को इसके लिए काफ़ी मशक्कत करनी होगी. उन्हें आदिवासियों का ही विरोध झेलना पड़ेगा.
उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा और मुख्यमंत्री रघुवर दास के बीच मतभेद थे.
मधुकर ने बीबीसी से कहा, “अर्जुन मुंडा को टिकट देकर भाजपा आदिवासियों के वैसे नेता को दिल्ली भेजना चाहती है, जो झारखंड मे मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. अगर वे खूंटी से हार गए, तब भी उनकी राजनीतिक हैसियत कम होगी और जीत गए, तो झारखंड से उन्हें बाहर कर दिया जाएगा. आदिवासियों का बड़ा वर्ग भाजपा की इस राजनीति के ख़िलाफ़ है. उसका मानना है कि आदिवासियों के विकास के लिए झारखंड में किसी न किसी आदिवासी नेता को ही सीएम बनाया जाना चाहिए.”
इमेज कॉपीरइटRAVI PRAKASHहेमंत-बाबूलाल मरांडी मुलाकात
भाजपा के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड विकास मोर्चा (प्र) के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बीच रांची में लंबी बातचीत हुई.
हालांकि, शनिवार की देर शाम बाबूलाल मराडीं से मिलने उनके घर पहुंचे हेमंत सोरेन ने मीडिया से कोई औपचारिक बातचीत नहीं की है.
लेकिन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अजय कुमार ने कहा है कि महागठबंधन सोमवार की शाम तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर सकता है.