एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटReutersअमरीका की अंतरिक्ष प्रोग्राम एजेंसी नासा (द नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्
इमेज कॉपीरइटReuters
अमरीका की अंतरिक्ष प्रोग्राम एजेंसी नासा (द नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के प्रमुख जिम ब्राइडेन्स्टाइन ने कहा है कि भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के परीक्षण में अपने ही एक उपग्रह को मार गिराया था जिससे अंतरिक्ष में कचरे के 400 टुकड़े फैल गए हैं.
जिम ने कहा कि यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए ख़तरनाक है. नासा कर्मियों को संबोधित करते हुए जिम ने भारत के परीक्षण के पाँच दिन बाद यह बात कही है.
भारत ने इस परीक्षण की घोषणा करते हुए कहा था कि वो अब अमरीका, रूस और चीन की क़तार में खड़ा हो गया है. जिम ने कहा कि भारत ने जिस उपग्रह को निशाने पर लिया वो कई टुकड़ो में टूट गया.
उन्होंने कहा, ''इनमें से ज़्यादातर टुकड़े बड़े हैं लेकिन हमने छोटे टुकड़ों को ट्रैक किया है. हम लोग बड़े टुकड़ों को खोज रहे हैं. हम 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े टुकड़े की बात कर रहे हैं. बड़े टुकड़ों में अब तक हमें 60 मिले हैं.''
भारत ने तुलनात्मक रूप से कम ऊंचाई पर उपग्रह को निशाने पर लिया था. यह ऊंचाई 300 किलोमीटर थी जबकि 2007 में चीन ने 800 किलोमीटर से ज़्यादा की ऊंचाई पर अपना एक उपग्रह नष्ट किया था. 300 किलोमीटर की ऊंचाई इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से नीचे है.
इमेज कॉपीरइट@JimBridenstine
हालांकि नासा प्रमुख का कहना है कि नष्ट किए गए भारतीय उपग्रह के कचरे के 24 टुकड़े आईएसएस के ऊपर चले गए हैं.
जिम ब्राइडेन्स्टाइन ने कहा, '' इससे ख़तरनाक कचरे पैदा हुए हैं और ये आईएसएस के भी ऊपर चले गए. इस तरह की गतिविधि भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रतिकूल साबित होगी.''
उन्होंने कहा, ''यह अस्वीकार्य है. नासा इसके प्रभाव को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट है.'' अमरीकी सेना को अंतरिक्ष में कचरों के टुकड़े मिले थे और कहा था कि यह आईएसएस और उसके उपग्रहों के लिए ख़तरनाक है.
अमरीकी सेना को 23 हज़ार टुकड़े मिले हैं और ये 10 सेंटीमीटर से भी बड़े हैं. इनमें 10 हज़ार अंतरिक्ष कचरे के टुकड़े हैं और इनमें से तीन हज़ार टुकड़े एक ही परीक्षण से पैदा हुए हैं. चीन ने 2007 में यही परीक्षण किया था और उसने ज़मीन से 865 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने उपग्रह को मार गिराया था.
नासा प्रमुख ने कहा कि भारतीय परीक्षण के कारण 10 दिनों में आईएसएस पर ख़तरा 44 फ़ीसदी बढ़ गया है. हालांकि वक़्त के साथ यह ख़तरा कम हो जाता है क्योंकि धीरे-धीरे ये वायुमंडल में आने के बाद ये टुकड़े जल जाते हैं.
इमेज कॉपीराइट @JimBridenstine@JimBridenstine
इमेज कॉपीराइट @JimBridenstine@JimBridenstine
भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत ने कम ऊंचाई पर परीक्षण किया था ताकि अंतरिक्ष में कचरा न फैले. मंत्रालय ने कहा था, ''जो भी कचरा बना वो हफ़्ते भर के भीतर पृथ्वी पर गिर जाएगा.''
एंटी सैटेलाइट मिसाइल के परीक्षण को भारत में बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा गया. हालांकि इसकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव के वक़्त में ख़ुद ही की इसलिए इसकी आलोचना भी हुई.
भारत ने दो रॉकेट बुस्टर के साथ 18 टन की मिसाइल से 740 किलो के उपग्रह को लो अर्थ ऑर्बिट में तीन मिनट में मार गिराया था.
भारत की इस कामयाबी का रणनीतिक महत्व भी बताया जा रहा है. सैटलाइट किलर मिसाइल से भारत अपने दुश्मन के उपग्रह को नष्ट कर सकता है.
हालांकि चीन ने इस क्षमता को 12 साल पहले ही हासिल कर लिया था. भारत ने इसका परीक्षण 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर किया है लेकिन डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का मानना है कि ज़रूरत पड़ने पर 1000 किलोमीटर तक भी जाया जा सकता है.