एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटYOGENDRA PURANIK/FACEBOOKभारतीय मूल के योगेंद्र पुराणिक उर्फ़ योगी ने जापान में असेंबली
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भारतीय मूल के योगेंद्र पुराणिक उर्फ़ योगी ने जापान में असेंबली चुनाव में जीत हासिल की है.
ऐसा करने वाले वह भारतीय मूल के पहले शख़्स बन गए हैं. योगी पुराणिक ने टोक्यो के एदोगावा वॉर्ड से जीत हासिल की है.
पुणे से संबंध रखने वाले योगेंद्र साल 1997 और 1999 में सरकारी स्कॉलरशिप पर बतौर छात्र जापान आए थे और फिर 2001 में उन्होंने यहीं पर काम करना शुरू किया था.
जापान में वह राजनीति में कैसे और क्यों आए, उनका आगे क्या करने का इरादा है और भारत की तुलना में जापान की राजनीति कैसी है? इन सभी सवालों पर पुराणिक योगेंद्र ने खुल कर अपनी बात रखी.
क्यों आए राजनीति में
योगेंद्र ने बताया कि राजनीति में आने का ख़याल उन्हें तीन साल पहले ही आया.
उन्होंने कहा, “मेरे वॉर्ड ने लिटल इंडिया नाम से कार्यक्रम शुरू किया था जो ग़लत दिशा में जा रहा था. मैंने कहा कि लोगों से बात करके और अपने लक्ष्यों पर पुनर्विचार करके उन्हें व्यावहारिक बनाया जाए.”
“हालांकि इससे कोई फ़ायदा नहीं हुआ. फिर मुझे लगा कि मुझे बाहर बैठकर शिकायत या गुज़ारिश करने के बजाय अंदर जाकर ख़ुद बदलाव करने चाहिए.”
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योगेंद्र बताते हैं कि वह पिछले 15 सालों से टोक्यो के इदोहावा में रह रहे हैं. उनकी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ यहीं बीती और यहीं पर पिता के तौर पर ज़िम्मेदारियां भी निभाईं.
उन्होंने कहा, “मैंने यहां पर पीटीए जैसे स्थानीय सामाजिक संगठनों में सक्रिय तौर पर भाग लिया. इदोगावा रहने के लिहाज़ से बहुत अच्छी जगह है. लेकिन मुझे लगा कि इसमें कुछ व्यावहारिक बदलाव लाने की ज़रूरत है.”
यहां की समस्याओं के बारे में उन्होंने बताया, “क्रेश और किंडर गार्टन न होना, पब्लिक स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर, नौकरियों के घटते अवसर और बुज़ुर्गों के लिए सुविधाओं की कमी जैसे कई मसले लंबे समय से चले आ रहे थे.”
“इदोगावा में भारतीय और विदेशी बड़ी संख्या में रहते हैं. इदोगावा ने विदेशियों के बारे में या फिर विदेशियों और स्थानीय लोगों के बीच की दूरी को पाटने के लिए ठोस क़दम नहीं उठाए.”
प्रतिनिधि चुने जाने के बाद इस सबमें वह क्या बदलाव लाना चाहेंगे, इस बारे में योगेंद्र बताते हैं कि वह इन्फ्रास्ट्रक्टर पर ध्यान देना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, “शहर का इन्फ्रास्ट्रक्चर पुराना है. इसमें दफ़्तरों, रेस्तराओं और सिनेमा वाली मल्टीपर्पज़ इमारतें नहीं हैं. मैं इस तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का सुझाव देकर जापान और विदेश की कंपनियों को यहां आमंत्रित करना चाहता हूं.”
योगी कहते हैं कि वह अगली बार मेयर का चुनाव लड़ना चाहेंगे और उसके बाद सांसद का. मगर कहते हैं कि पहले इदागोवा के लिए कुछ करना चाहते हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption योगेंद्र कहते हैं कि विदेशी और स्थानीय लोगों की दूरी पाटने की दिशा में काम नहीं हुआ है भारत से कैसे अलग हैं जापान के चुनाव
योगेंद्र कहते हैं कि भारत और जापान की चुनावी प्रक्रिया में काफ़ी अंतर है.
वो कहते हैं, “जापान में चुनाव बड़े ही सुव्यवस्थित होते हैं. राजनीति में आने या फिर चुनाव लड़ने के लिए नए शख़्स को काफ़ी जानकारियां दी जाती हैं. बहुत सारा काग़ज़ी काम होता है और फ़ंड का पूरा हिसाब-किताब रखना होता है.”
“प्रचार अभियान बहुत ही शिष्टता से होता है. सभी उम्मीदवार एक-दूसरे का सम्म्मान करते हैं और किसी पर कीचड़ नहीं उछालते. पुलिस हमेशा चौकस रहती है और देखती रहती है कि कहीं कोई उम्मीदवार नियम तो नहीं तोड़ रहा. अभियान के दौरान घर पर लोगों के आने या निजी मुलाक़ातें करने की इजाज़त नहीं होती. वॉलंटियर्स मुफ़्त में काम नहीं कर सकते.”
क्या भारतीय मूल का होने के कारण उनके लिए चुनाव लड़ना मुश्किल था? इस सवाल के जवाब में योगेंद्र पुराणिक कहते हैं, “मुझे लगता है कि चुनाव लड़ना शायद आसान न होता.”
“आख़िरी समय तक मैं आश्वस्त नहीं था कि कितने लोग मुझे वोट देंगे. हालांकि, स्थानीय संगठनों में मेरी सक्रियता, भारतीय समुदाय के लिए मेरा सहयोग, मेरे रेस्तरां, इदोगावा इंडिया कल्चर सेंटर; सभी ने मुझे लोगों से जुड़ने में मदद की. मैंने हमेशा लोगों की मदद करने की कोशिश की है. साथ ही मेरे गाइड और मौजूदा सांसद अकिहीरो हत्सुशीका और मेरी टीम ने शानदार काम किया. मुझे लगता है मेरे भाषणों से लोगों में विश्वास जगा.”
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यह पूछे जाने पर कि क्या वह भविष्य में भारत आकर राजनीति में शामिल होना चाहेंगे, उन्होंने कहा, “नहीं, अभी तो मेरी ऐसी कोई योजना नहीं है. मैं राजनेता नहीं हूं. मैं इसे सुधार करने वाले अधिकारी की नौकरी समझता हूं और विकास पर काम करना चाहता हूं. मैं असेंबली में राजनीति करने नहीं जा रहा.”
भारत की राजनीति पर टिप्पणी करते हुए वह कहते हैं कि भारत में पारदर्शिता नहीं है और इसमें बदलाव होता भी नज़र नहीं आ रहा. उन्होंने कहा कि वहां अभी बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है.
हालांकि वह भारत और जापान की राजनीति में कुछ समानताएं भी बताते हैं. वह कहते हैं, “वंशवाद की राजनीति काफ़ी है, कांग्रेस की तरह यहां एलडीपी का मज़बूत आधार है और धार्मिक मान्यताएं पर्दे के पीछे बहुत मायने रखती हैं.”
नरेंद्र मोदी को योगेंद्र पुराणिक कैसे देखते हैं?
इस प्रश्न पर वह जवाब देते हैं, “मैं ख़ुद को किसी व्यक्ति से नहीं जोड़ता. मैं प्रयासों से जुड़ाव महसूस करता हूं. अभी तक प्रधानमंत्री पद के लिए बहुत अच्छे विकल्प नहीं हैं. अगर मोदी जी फिर चुने जाते हैं तो मैं चाहूंगा कि वह व्यावहारिक दृष्टिकोण से पारदर्शिता के साथ लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करें. बहुत कुछ है जिस पर काम किया जाना बाक़ी है.”