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लाइन, लेंथ, रफ़्तार, यॉर्कर, बाउंसर, इनस्विंग, आउटस्विंग तेज गेंदबाज़ी में इन सारे हथियारों से लैस जसप्रीत बुमराह इस वक़्त हर मायने में दुनिया के नंबर एक गेंदबाज़ हैं.
किंग्सटन टेस्ट में उन्होंने जिस धारदार और आक्रामक अंदाज में गेंदबाज़ी की, उससे ये बात एक बार फिर साबित हुई है. इसी मैच में उन्होंने करियर की पहली हैट्रिक भी ली.
पारी के आठवें ओवर में ही डैरेन ब्रावो, ब्रुक्स और रॉस्टन चेज़ को आउट करके बुमराह ने वेस्टइंडीज़ को बैकफ़ुट पर धकेल दिया.
इससे पहले एंटीगा टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने जिस अंदाज में कैरेबियाई बल्लेबाज़ों को 'बोल्ड' किया था, उसे देखकर दुनिया का बड़े से बड़ा बल्लेबाज़ ख़ौफ़ में आ जाएगा.
भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए ये देखना काफ़ी सुखद है कि जिस वेस्टइंडीज़ की टीम के सामने कभी भारतीय बल्लेबाज़ डरते हुए खेलते थे, आज उसी वेस्टइंडीज़ के बल्लेबाज़ भारतीय गेंदबाज़ों के आगे बौने लग रहे हैं.
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने पहले टेस्ट मैच में 18 और दूसरे में 19 विकेट लिए थे.
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बुमराह के संदर्भ में इस बात का महत्व इसलिए ज्यादा है क्योंकि पिछले एक साल से उन्हें ही भारतीय तेज गेंदबाज़ी का कप्तान माना जाता है.
पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में 6 विकेट लेने वाले मौजूदा भारतीय टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज़ ईशांत शर्मा ने भी कहा था कि उन्हें बुमराह की सलाह से काफी फ़ायदा हुआ.
बुमराह को गेंदबाज़ी यूनिट के 'लीडर' की ज़िम्मेदारी वैसे ही मिली हुई है जैसे बल्लेबाज़ी में विराट कोहली को.
बुमराह की ख़ासियत
जसप्रीत बुमराह की गेंदबाज़ी में सबसे ख़ास बात है उनके 'क्लियर थॉट्स' यानी स्पष्ट सोच. गेंद फेंकने से पहले जब वो अपने बॉलिंग मार्क पर जाते हैं तो उन्हें किसी तरह का भ्रम नहीं रहता.
वो 'डबल मांइडेड' नहीं होते. वो 'ओवर कॉन्फ़िडेंस' का शिकार नहीं है लिहाज़ा उन्हें अपनी कमज़ोरियों का अहसास भी है. टेस्ट क्रिकेट से लेकर टी-20 तक की गेंदबाज़ी के लिये उनके पास अलग अलग प्लान हैं.
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उनमें सीखने की ज़बरदस्त क्षमता है. अलग अलग फॉरमैट और अलग-अलग पिच पर किस तरह की गेंदबाजी असरदार रहेगी ये बात वो हर रोज़ सीखते हैं.
यही वजह है कि तीनों फॉरमैट में वो इस वक्त टीम इंडिया के सबसे जबरदस्त गेंदबाज हैं. वनडे क्रिकेट में वो लंबे समय से आईसीसी रैंकिंग में दुनिया के नंबर एक गेंदबाज हैं. टेस्ट क्रिकेट में भी उनकी रैंकिंग सात है.
विश्व कप के बाद उन्हें टीम मैनेजमेंट ने वेस्टइडीज के ख़िलाफ़ टी-20 और वनडे सीरीज से आराम दिया था. टेस्ट सिरीज़ में तरोताज़ा बुमराह जब लौटे तो उन्होंने नए जोश से गेंदबाज़ी की.
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बुमराह के टीम में होने का मतलब
विराट कोहली ने हाल ही में कहा था कि उन्हें तेज गेंदबाज़ों के 'वर्कलोड' को देखना होगा. उनके इस बयान को 2018 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ घरेलू वनडे सीरीज से जोड़कर देखिए.
आपको याद दिला दें कि पिछले साल अक्टूबर में टी-20 से पहले भारतीय टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सिरीज खेल रही थी. वनडे सिरीज के शुरुआती मैचों में जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार दोनों को आराम दे दिया गया था.
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शुरुआती दो मैचों में वेस्टइंडीज़ ने तीन सौ के क़रीब पहुंच गई थी. इसमें से एक मैच तो 'टाई' हो गया था. इसी के बाद सिरीज के बाकी बचे मैचों के लिए बुमराह और भुवनेश्वर को वापस बुलाया गया.
बुमराह ने मैदान में वापसी करते ही पहले मैच में 10 ओवर में 35 रन देकर 4 विकेट लिए. हालांकि वो मैच भारतीय टीम हार गई. लेकिन 5 मैचों की सिरीज़ भारतीय टीम ने 3-1 के अंतर से जीती थी.
वनडे सिरीज़ के बाकी बचे तीन मैचों में उन्होंने 6 विकेट लिए. बड़ी बात ये थी कि तीन मैचों में उनका इकॉनमी रेट 2.95 का रहा.
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एक्शन को ही बनाया अपना ताक़तवर हथियार
बुमराह का गेंदबाजी एक्शन काफी अलग है. वो 'स्लिंग आर्म' से गेंदबाजी करते हैं. करियर के शुरुआती दिनों में उनकी 'लिमिटेशन' थी कि वो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए गेंद बाहर नहीं निकाल पाते थे.
उनके पास आउटस्विंग नहीं थी. बुमराह ने इस कमजोरी को समझा और नेट्स में नई तरह से तैयारी की. जल्दी ही वो अपने आक्रमण में 'आउटस्विंग' भी लेकर आए.
ये एक ऐसा 'मूव' था जिससे दुनिया भर के बल्लेबाज हैरान रह गए. 'सीम' और 'इनस्विंग' पर जसप्रीत बुमराह की पकड़ पहले से ही ज़बरदस्त थी.
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उनकी सटीक 'यॉर्कर' की तारीफ़ दुनिया का हर बल्लेबाज करता है. बुमराह ने हाल के दिनों में अपनी शॉर्ट गेंद पर भी ज़बरदस्त मेहनत की है.
उनकी शॉर्टपिच गेंद की भी 'एक्यूरेसी' जबरदस्त होती है. उनकी शॉर्टपिच गेंदों पर बचना बल्लेबाज़ों के लिए आसान नहीं है. बुमराह का होना इस समय भारतीय क्रिकेट का सबसे सकारात्मक पहलू है.
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